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दावा दिमाग पर ज्यादा जोर गुस्सैल बना देगा

वाशिंगटन: अक्सर कहा जाता है, जी-जान से करो काम, मेहनत का फल मीठा होता है लेकिन अध्ययन के अनुसार, अधिक सोचने या या चुनौती पूर्ण काम करने से दिमाग पर अतिरिक्त दबाव बढ़ता है जो मानसिक नुकसान पहुंचा सकता है. इसके कारण तनाव और गुस्सा के साथ-साथ निराशा जैसी नकारात्मक भावनाओं की अधिकता होती है.

शोधकर्ताओं ने इससे बचाव के भी सलाह दिए. इसके अनुसार, लोगों में काम के दबाव से नुकसान न हो इसके लिए काम का कद्र होना जरूरी है. उन्हें यह अच्छे से मालूम होना चाहिए कि इतनी मेहनत के बाद उन्हें इसका इनाम भी मिलने वाला है.

सोचने की क्षमता पर असर ज्यादा सोचना दिमाग के भीतर की गतिविधियों को सुस्त करने के साथ इसकी सोचने की क्षमता पर असर डालता है. इसके अलावा यह दुख को बढ़ाता है और अकेला बना देता है. इंसान का अधिक सोचना लाजिमी है जो उसे अवसाद की खाई में धकेलता है.

ऐसे हुआ अध्ययन अध्ययन अमेरिकन साइकोलॉजिकल एसोसिएशन का है. दिमाग पर जोर देने वाले कामों और नकारात्मक भावनाओं के बीच लिंक का पता करने को शोधकर्ताओं ने 170 अध्ययन का विश्लेषण किया. उन्होंने विभिन्न पेशे और समूहों के बीच अंतर का भी डाटा जमा किया.

मनमर्जी से चुनते हैं काम

अध्ययन में देखा गया कि लोगों को ऐसे कामों में नहीं लगाया जाता बल्कि वे मर्जी से दिमाग वाले काम को चुनते हैं. शोध का नेतृत्व करने वाले डॉक्टर बिज्लेवेल्ड ने दिमाग के खेल शतरंज का उदाहरण दिया और कहा कि जिस तरह लोग अपनी खुशी से इस खेल का आनंद लेते हैं उसी तरह अपनी मनमर्जी से दिमाग लगाने वाले कामों को भी चुनते हैं. ऐसा करने के लिए दबाव नहीं डाला जाता.


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