भारत देश में हर साल स्वतंत्रता दिवस बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. भारत देश के हर नागरिक के लिए 15 अगस्त का दिन सबसे खास दिन होता है. इस दिन हम उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों को याद करते हैं, जिन्होंने हमारे देश को आजादी दिलाने के लिए अपनी जान तक गंवा दी थी. भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनेक वीरों ने अपना अमूल्य योगदान दिया उनके विचार आज भी देशवासियों को प्रेरित करते हैं. आजादी के समय लोगों में चेतना जगाने के लिए सेनानियों ने कई तरीके अपनाए. किसी ने अपने नारों की मदद से तो किसी ने अपने साहित्य के माध्यम से लोगों के बीच देशभक्ति की भावना जगाई और आजादी के लिए लोगों को प्रेरित किया.
■ तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा (सुभाष चंद्र बोस)
: सुभाष चंद्र बोस स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेताओं में से एक है, जिन्हें प्यार से नेताजी के नाम से याद किया जाता है. तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा का नारा देते हुए उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे अपने जीवन का बलिदान देने के लिए तैयार रहें और वह उन्हें आजादी दिलाने में मदद करेंगे.
■ इंकलाब जिंदाबाद (शहीद भगत सिंह): यह एक ऐसा नाम है, जिसे बच्चा बच्चा जानत है. स्वतंत्रता सेनानी भगत सिंह, जिन्होंने 23 साल की छोटी सी उम्र में देश आजाद कराने के लिए अपनी जान दे दी. उन्होंने उर्दू कवि और स्वतंत्रता सेनानी मौलाना हसरत मोहनीब द्वारा लिखे गए नारे को लोकप्रिय बनाया. इंकलाब जिंदाबाद का मतलब है क्रातिजिंदाबाद.
■ करो या मरो (महात्मा गांधी) करो या मरो का नारा
अंग्रेजों के लिए देश छोड़ने का आखिरी आह्वान था और साल 1942 में महात्मा गांधी द्वारा मुंबई में एक भाषण के दौरान दिया गया था. इसने भारत छोड़ो आंदोलन की शुरुआत को चिह्नित किया.
■ सत्यमेव जयते (पंडित मदन मोहन मालवीय): पंडित मदन
मोहन मालवीय ने साल 1918 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस सम्मेलन में अध्यक्षीय भाषण देते हुए जनता को प्रेरित करने के लिए यह नारा दिया था. सत्यमेव जयते का मतलब है सच्चाई
की ही जीत होती है.
■ सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है (रामप्रसाद बिस्मिल): सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजू-ए-कातिल में है. रामप्रसाद बिस्मिल की देशभक्ति कविता की इन पंक्तियों ने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई तेज होने पर नारे का रूप ले लिया था. कविता ने लोगों को अपनी बहुमूल्य स्वतंत्रता पाने के लिए महान बलिदान देने के लिए प्रेरित किया.
■ स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है और मैं इसे लेकर रहूंगा (बाल गंगाधर तिलक) बाल गंगाधर तिलक को लोकमान्य तिलक के नाम से भी जाना जाता है. लोकमान्य का शीर्षक भी इन्हीं को दिया गया था. लोकमान्य का अर्थ है लोगों द्वारा स्वीकृत किया गया नेता. लोकमान्य के अलावा इनको हिंदू राष्ट्रवाद का पिता भी कहा जाता है. तिलक ने अंग्रेजी शासन की क्रूरता और भारतीय संस्कृति के प्रति हीन भावना की बहुत आलोचना की.
■ तुरन्त भारतीयों को पूर्ण स्वराज दे. जय जवान जय किसान (लाल बहादुर शास्त्री): यह
भारत का एक प्रसिद्ध नारा है. यह नारा सबसे पहले 1965 के भारत पाक युद्ध के दौरान भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री ने दिया था. इसे भारत का राष्ट्रीय नारा भी कहते हैं जो जवान एवं किसान के श्रम को दर्शाता है.