उंगलियों और चेहरे की पहचान से यूपीआई लेनदेन कर सकेंगे
नई दिल्ली:भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) यूपीआई से होने वाले भुगतान को और सुरक्षित बनाने के लिए इसमें बड़े बदलाव की तैयारी कर रहा है. बताया जा रहा है कि भुगतान को सत्यापित करने के लिए अब यूपीआई पिन के अलावा उंगलियों और चेहरे की पहचान का भी इस्तेमाल होगा.
एनपीसीआई बायोमीट्रिक सुविधा शुरू करने के लिए भुगतान ऐप्स कंपनियों से बात कर रहा है. जल्द ही इस सुविधा को शुरू किया जा सकता है. देश में गूगल-पे, फोन-पे, पेटीएम और अमेजन-पे समेत कई अन्य ऐप ऐसे हैं, जो यूपीआई भुगतान की सुविधा देते हैं. खबरों के मुताबिक, एनपीसीआई यूपीआई भुगतान के लिए फिंगर प्रिंट सेंसर और फेस आईडी को जोड़ने पर विचार कर रहा है. उसका मानना है कि फेस आईडी या बायोमीट्रिक के इस्तेमाल से यूपीआई लेनदेन और ज्यादा सुरक्षित होगा. इससे धोखाधड़ी के मामलों में कमी आ सकती है. हालांकि, इस सुविधा को शुरू करने से पहले इसके जोखिम को भी हर स्तर पर जांचा जाएगा.
मोबाइल फोन के अनुसार सुविधा मिलेगी
बताया जा रहा है कि अगर एनपीसीआई की इन ऐप्स कंपनियों के साथ बातचीत सफल रहती है तो एंड्रॉयड फोन के फिंगरप्रिंट सेंसर के इस्तेमाल से यूपीआई भुगतान हो जाएगा. वहीं, आईफोन का इस्तेमाल करने वाले लोग फेस आईडी के जरिए यूपीआई भुगतान कर पाएंगे.
ग्राहकों को मिलेंगे दो विकल्प
बताया जा रहा है कि यह सुविधा लागू होने पर यूपीआई ग्राहकों को भुगतान के लिए दो विकल्प मिलेंगे. इसके तहत वे पिन या बायोमेट्रिक्स में से किसी एक को चुन सकेंगे. नई प्रक्रिया लोगों के बीच लोकप्रिय होने पर पुरानी व्यवस्था को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश की जाएगी.
लगातार बढ़ रहे मामले
भारतीय रिजर्व बैंक की रिपोर्ट के मुताबिक, वित्त वर्ष 2023-24 में ऑनलाइन भुगतान धोखाधड़ी के मामले पांच गुना बढ़े हैं. वहीं, एक सर्वे के अनुसार, पिछले तीन साल में करीब आधे भारतीय वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार हुए हैं. इन घटनाओं में यूपीआई और क्रेडिट कार्ड से जुड़े धोखाधड़ी के मामले सबसे ज़्यादा सामने आए हैं. 36 प्रतिशत लोगों ने कहा कि यूपीआई लेनदेन के दौरान धोखाधड़ी हुई.
कई हथकंडों से यूपीआई पिन जान रहे जालसाज
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि जालसाज यूपीआई से धोखाधड़ी को अंजाम देने के लिए यूपीआई पिन संख्या जानने के लिए कई तरह के तरीके आजमाते हैं, जो भुगतान के लिए जरूरी होता है. वे कोई बहाना बनाकर पीड़ित को अपने जाल में फंसा लेते हैं और उनके खाते से रुपये उड़ा लेते हैं. इसके अलावा कुछ ठगों ने नकली यूपीआई ऐप भी बना लिया है, वो वैध बैंकिंग ऐप की नकल करके लॉगिन डिटेल और अन्य ज़रूरी जानकारियां चुरा लेते हैं. आंकड़ों के अनुसार, जनवरी 2020 से जून 2023 के बीच हुई वित्तीय धोखाधड़ी के लगभग पचास प्रतिशत मामलों में यूपीआई सिस्टम का इस्तेमाल किया गया था.