छत्तीसगढ़ट्रेंडिंग

बलरामपुर में हिरासत में युवक की मौत पर बवाल, भीड़ का थाने पर हमला; महिला ASP घायल

छत्तीसगढ़ के बलरामपुर में गुरुवार को थाने में पुलिस हिरासत में युवक की मौत के बाद भारी बवाल हो गया. उग्र भीड़ ने थाने पर हमला कर जमकर पथराव और तोड़फोड़ की. इस हमले में महिला एएसपी घायल हो गईं. पुलिस ने आंसू गैस छोड़ भीड़ को बलपूर्वक खदेड़ा.

कोतवाली थाना में स्वास्थ्यकर्मी गुरुचंद मंडल की मौत के मामले में फिर से बड़ा बवाल हो गया. पुलिस की कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में शुक्रवार को मृतक के शव को अंतिम संस्कार के लिए ले जाया जा रहा था, तभी ग्रामीणों ने जोरदार विरोध जताया और पत्थरबाजी शुरू कर दी. इस हिंसा में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक (एएसपी) निमिशा पांडे को चोट लगी है. वहीं पुलिस के अधिकारी मौके पर उग्र भीड़ को समझाने में जुटे हुए थे. घटनास्थल पर बड़ी संख्या में पुलिस जवान तैनात हैं.

छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने हमले का एक वीडियो ट्वीट कर लिखा, ”ठीक उस समय जब देश की महामहिम राष्ट्रपति छत्तीसगढ़ में हैं, उस समय बलरामपुर से आ रहे ये चिंताजनक दृश्य छत्तीसगढ़ में “कानून व्यवस्था” के अंतिम संस्कार का आधिकारिक ऐलान कर रहे हैं. पुलिस कस्टडी में हुई मौत के बाद युवक की लाश ले जाने के दौरान लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है. हालात यह हैं कि नागरिकों और पुलिस के बीच भीषण संघर्ष चल रहा है. जनता पुलिस पर भरोसा नहीं कर रही है, हालात बेकाबू हैं.”

पुलिस हिरासत में एक व्यक्ति ने की खुदकुशी, दो पुलिसकर्मी सस्पेंड

भाषा के अनुसार, बलरामपुर जिले में एक महिला के लापता होने के संबंध में पूछताछ के लिए बुलाए गए उसके पति द्वारा हिरासत में कथित तौर पर खुदकुशी किए जाने के मामले में थाना प्रभारी सहित दो पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है. अधिकारियों ने शुक्रवार इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि गुरुचंद मंडल ने गुरुवार को बलरामपुर थाने के शौचालय के भीतर अपने गमछे से कथित तौर पर फंदा लगा लिया था. अधिकारी ने बताया कि मंडल की पत्नी पिछले माह लापता हो गई थी, जिसके बाद उसने 29 सितंबर को बलरामपुर थाने में गुमशुदगी की शिकायत दर्ज कराई थी.

निलंबन आदेश में कहा गया, ‘‘मंडल को संदेह और सबूतों के आधार पर थाने बुलाया गया था और लापता होने के मामले में पुलिस हिरासत में उससे पूछताछ की जा रही थी, तभी उसने आत्महत्या कर ली. प्रथम दृष्टया निरीक्षक एवं बलरामपुर थाना प्रभारी प्रमोद रूसिया और आरक्षक अजय यादव की ओर से लापरवाही पाई गई, ऐसे में दोनों को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड किया जाता है.’’

घटना की न्यायिक जांच के आदेश

प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अशोक कुमार साहू ने घटना की न्यायिक जांच के आदेश दिए हैं. घटना की जानकारी मिलने के बाद गुरुवार को बड़ी संख्या में लोग थाने पहुंचे और वहां खड़ी गाड़ियों में तोड़फोड़ की. अधिकारियों ने बताया कि भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को बल प्रयोग करना पड़ा.

कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरा

राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था को लेकर सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की आलोचना की तथा घटना की जांच के लिए आठ सदस्यीय फैक्ट फाइंडिंग टीम गठित की है. यह टीम घटनास्थल का दौरा रिपोर्ट पार्टी को सौंपेगी.

कांग्रेस की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा सरकार में राज्य में कानून नहीं बल्कि जंगल राज कायम हो गया है. बैज ने कहा है कि बलरामपुर में स्थिति तनावपूर्ण है, स्थानीय लोगों ने थाने पर पथराव किया, जिसके लिए राज्य सरकार और प्रशासन जिम्मेदार है. हम घटना की निंदा करते हैं और इसकी उच्च स्तरीय जांच की मांग करते हैं.

एनएचएम कर्मचारी संघ ने सीएम और गृहमंत्री के नाम सौंपा ज्ञापन

वार्ता के अनुसार, घटना के दूसरे दिन शुक्रवार को भी बलरामपुर के लोगों का विरोध प्रदर्शन जारी रहा. इस बीच, छत्तीसगढ़ प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के नाम चार सूत्रीय मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा है. संघ का कहना है कि मांगों पर कार्रवाई न करने पर समस्त कर्मचारियों में आक्रोश व्याप्त रहेगा, जिसके लिए संघ न्याय पाने हेतु सड़क की लड़ाई लड़ने पर विवश हो जाएगा.

संघ ने दोषियों पर कठोर कार्रवाई करने बात कही है. संघ ने यह चेतावनी भी दी है कि अगर उनकी मांगों को पूरा नहीं की गई तो संघ न्याय पाने के लिए सड़क की लड़ाई लड़ने पर विवश हो जाएगा.

छत्तीसगढ़ प्रदेश राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कर्मचारी संघ ने मुख्यमंत्री और गृहमंत्री के नाम लिखे ज्ञापन में कहा, “बलरामपुर जिला मुख्यालय में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन कार्यालय अंतर्गत कार्यरत गुरुचंद मंडल की पुलिस हिरासत में मृत्यु का प्रकरण सामने आया है. मृतक कर्मचारी की पत्नी गुमशुदा थी, जिसकी तलाश करने के स्थान पर पुलिस मृतक पर ही संदेह कर उसे और उसके परिजन को बार-बार थाने बुलाती रही तथा दबाव बनाती रही. यह भी बताया गया है कि उनके साथ अत्यधिक मारपीट भी की गई. इस प्रकार की मृत्यु मानवाधिकारों का घोर उल्लंघन है.”

संघ ने कहा कि पुलिस हिरासत में मौत का यह प्रकरण अत्यंत गंभीर है और संबंधित पुलिस कर्मचारियों की कार्यप्रणाली पर शक पैदा करता है जिसके लिए दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए.

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button