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रेवड़ी से ध्यान हटे, तो कुपोषण पर भी सोचें ‘सरकार’

मुंबई. महाराष्ट्र में चुनावी बयार बह रही है. मतदाताओं से बढ़-चढ़ कर वादे किए जा रहे हैं. यह अलग बात है कि जमीनी हकीकत पर कुछ मसले ऐसे हैं, जिन पर किसी का ध्यान नहीं है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़े बताते हैं कि राज्य का हर चौथा बच्चा कुपोषित है. 6 से 23 महीने के बीच के 80% से अधिक बच्चों के आहार में डब्ल्यूएचओ निदेर्शित विविधता का अभाव है. संस्था के मुताबिक इन बच्चों को पोषण के लिए न्यूनतम आहार विविधता यानी एमडीडी मिलनी चाहिए, इसके लिए आठ अनुशंसित खाद्य समूहों में से 5 का सेवन करना चाहिए, जिन बच्चों के पास इनमें से पांच से कम खाद्य समूह होते हैं, उन्हें न्यूनतम आहार विविधता विफलता (एमडीडीएफ) में गिना जाता है.

तीन- चौथाई से अधिक बच्चों को एमडीडीएफ के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है. हालांकि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण-3 में एमडीडीएफ में थोड़ा सुधार देखने में आया है. 2019-2021 में इस आयु वर्ग के 87% बच्चे एमडीडीएफ थे, लेकिन एनएफएचएस  5 के अनुसार यह दर 77% पर आ गई थी. महाराष्ट्र सहित उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात जैसे सात अन्य राज्यों में एमडीडीएफ 80% से अधिक था. भारत के 707 जिलों में से केवल 95 जिलों में आहार संबंधी विफलता का प्रसार 60% से कम था.

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