Money Heist के “Professor” जैसा मास्टरमाइंड: जेल से छूटते ही ड्रग्स रैकेट का खुलासा, Raipur में MDMA ड्रग रैकेट का पर्दाफाश
राजधानी रायपुर में “Money Heist” वेब सीरीज के चर्चित किरदार “Professor” से प्रेरित एक मास्टरमाइंड का पर्दाफाश हुआ है. आयुष अग्रवाल (उम्र 27), जिसे गैंग में “Professor” के नाम से जाना जाता है, पुलिस की गिरफ्त में आ गया. आयुष को MDMA ड्रग्स रैकेट चलाने के आरोप में दो अन्य साथियों, क्षितिज पाण्डेय और सिद्धार्थ राय के साथ पकड़ा गया. इनके पास से 3.88 ग्राम MDMA (Molly) बरामद हुई है. (Raipur में MDMA ड्रग रैकेट का पर्दाफाश)
पुलिस के अनुसार, तीनों आरोपी सिविल लाइंस के दुर्गा नगर इलाके में ड्रग्स की डिलीवरी करने की कोशिश कर रहे थे. ये गिरोह ग्राहकों को WhatsApp ग्रुप के माध्यम से ड्रग्स बेचने की योजना बनाता था.
पिछली गिरफ्तारी और ड्रग नेटवर्क का खुलासा
छह महीने पहले, आयुष अग्रवाल और उसके गिरोह को रायपुर पुलिस ने छापा मारकर गिरफ्तार किया था. इस रैकेट से जुड़े लोग दिल्ली और हिमाचल प्रदेश से ड्रग्स मंगाते थे. High-Profile Drug Network का हिस्सा रहे इस गिरोह के पास से पिस्टल और बड़ी मात्रा में ड्रग्स बरामद हुई थी.
हिमाचल प्रदेश में एक होटल की आड़ में ड्रग्स की सप्लाई का मामला भी इसी नेटवर्क से जुड़ा पाया गया.
दिल्ली में एक Nigerian Citizen की गिरफ्तारी हुई, जो ड्रग्स की सप्लाई का मुख्य आरोपी था.
ड्रग्स बेचने का अनोखा तरीका (Raipur में MDMA ड्रग रैकेट का पर्दाफाश)
- आयुष ने ड्रग्स बेचने के लिए Cryptic Techniques का इस्तेमाल किया:
- ग्राहकों का WhatsApp ग्रुप बनाकर ड्रग्स उपलब्ध होने की सूचना देता था.
- ग्राहकों को कुछ खास स्थानों पर ड्रग्स की पुड़िया छोड़ने की जानकारी दी जाती थी.
- गैंग के सदस्य आसपास निगरानी करते और ग्राहक को माल उठाने का संदेश भेजते.
पुलिस की सख्ती के बाद भी दोबारा सक्रिय
जमानत पर छूटने के बाद आयुष ने फिर से Drug Peddling शुरू कर दी. फिलहाल पुलिस यह जांच कर रही है कि आयुष ने ड्रग्स की आपूर्ति कहां से और किस माध्यम से की.
ड्रग्स का नेटवर्क और सतर्कता
यह मामला दिखाता है कि कैसे ड्रग्स रैकेट टेक्नोलॉजी और शातिर रणनीतियों का उपयोग कर रहे हैं. पुलिस की लगातार कार्रवाई से राजधानी में Drug-Free Society बनाने का प्रयास जारी है.