गंगा को मैली करने पर सरकारी महकमों, फैक्टरियों और लोगों पर तो कई बार जुर्माने लगे हैं, पर संभवत पहली बार सरकारी अधिकारियों का वेतन रोकने जैसी बात सामने आई है. इस तरह का आदेश उत्तराखंड में जारी हुआ है.
गंगा में सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से गंदा पानी निकलने के मामले में अब इंजीनियरों का वेतन रोक दिया जाएगा. सीजीएम जल संस्थान नीलिमा गर्ग ने अधिशासी अभियंताओं को निर्देश जारी कर दिए हैं. नवंबर की रिपोर्ट में पानी गंदा आने पर वेतन का भुगतान नहीं होगा.
सितंबर के बाद अक्तूबर महीने में भी प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में एसटीपी से निकलने वाले पानी को दूषित बताया था. उत्तरकाशी, चमोली, रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, देवप्रयाग, हरिद्वार, देहरादून के एसटीपी की रिपोर्ट गड़बड़ सामने आई थी. इस पर सचिव पेयजल शैलेश ने जल संस्थान से भी सख्त नाराजगी जताई, जिसके बाद वेतन रोकने के आदेश जारी हुए.
गंगा जल साफ होेने पर ही मिलेगा वेतन
स्पष्ट रूप से कहा गया है कि संबंधित जिलों के अधिशासी अभियंताओं का वेतन तभी जारी होगा, जब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट में जल साफ बताया जाएगा. इंजीनियरों का नवंबर का वेतन प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट पर निर्भर करेगा.