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मार्केट है मंदा, ऐसे में देश के टॉप म्यूचुअल फंड एक्सपर्ट बता रहे हैं क्या हो SIP में निवेश का फंडा

भारत के दूसरे सबसे बड़े म्यूचुअल फंड हाउस ICICI के चीफ इन्वेस्टमेंट ऑफिसर शंकरन नरेन के बयान पर असेट मैनेजमेंट इंडस्ट्री में काफी चर्चा हो रही है. उन्होंने हाल में कहा कि मौजूदा समय में निवेशकों को स्मॉल कैप और मिडकैप म्यूचुअल फंडों में सिस्टमैटिक इन्वस्टमेंट प्लान (SIP) से बचना चाहिए. शंकरन ने कहा कि ऐसे फंडों में अपने निवेश को भुनाने पर भी विचार करना चाहिए क्योंकि इस समय इनके वैल्यूएशन अधिक हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर निवेशक महंगे फंड्स में SIP करते है, तो यह रणनीति उनके लिए घातक हो सकती है, खासकर यदि निवेश लंबे समय तक न किया जाए जो अधिकांश निवेशकों के लिए असामान्य है.

स्मॉल कैप फंड्स वे म्यूचुअल फंड्स होते हैं, जो छोटी कंपनियों के शेयरों में निवेश करते हैं. इन कंपनियों का मार्केट कैप काफी छोटा होता है. हालांकि इन फंड्स से लंबे समय में अच्छा रिटर्न मिलने की संभावना रहती है, लेकिन इनमें रिस्क भी अधिक होता है. शंकर की स्पीच को बाद में हटा लिया गया. उनके बयान को हटाने को लेकर दो तरह की चर्चाएं हैं. कुछ लोग कह रहे हैं कि ऐसा कंपनी के कॉम्प्लायंस अप्रूवल के अभाव में हुआ, जबकि कुछ का मानना है कि डिस्ट्रिब्यूटर लॉबी ने इसे हटाने का दबाव डाला. वजह जो भी ICICI प्रूडेंशियल म्यूचुअल फंड्स के शंकरन के बयानों ने निवेश जगत में हलचल मचा दी है.

शंकरन की सलाह क्या है?

आगे की रणनीति बनाने से पहले उनके पूरे बयान और संदर्भ को समझना जरूरी है. उन्होंने कहा कि अगर निवेशक गलत प्रॉडक्ट में गलत समय पर SIP करते हैं, तो उन्हें नुकसान हो सकता है. उन्होंने स्मॉल कैप और मिड कैप स्कीम्स में हो रहे निवेश पर चिंता जताते हुए कहा,’अगर निवेशक महंगे शेयरों पर SIP करते हैं, तो यह निवेश रणनीति उनके लिए घातक हो सकती है.’ दरअसल शेयर मार्केट में अनिश्चय का माहौल है और पांच महीने में बाजार करीब 12% करेक्शन देख चुका है. इसे देखते हुए शंकरन ने लार्ज कैप, फ्लेक्सी कैप और इक्विटी हाइब्रिड प्रॉडक्ट्स में SIP करने की सलाह दी. उन्होंने कहा, ‘स्मॉल कैप और मिड कैप स्कीम्स में SIP तब तक लाभकारी नहीं हो सकती जब तक इसे 20 साल तक जारी न रखा जाए, लेकिन इतने लंबे समय तक फंड में निवेश बनाए रखने के मामले दुर्लभ हैं.’

SIP में हमेशा फायदा होता है?

इसका सीधा जवाब ना है. शंकरन ने ऐतिहासिक उदाहरण दिए जब SIP निवेशकों के लिए घाटे का सौदा साबित हुआ. वर्ष 1994-2002 और 2006-2013 के बीच मिड कैप में SIP से निवेशकों को नुकसान हुआ था. उन्होंने कहा कि लोग म्यूचुअल फंड में अक्सर बाजार के मौजूदा ट्रेंड को देखकर निवेश शुरू कर देते हैं, लेकिन ऐसा करने से नुकसान हो सकता है. जब बाजार में स्मॉल कैप शेयरों की कीमत बढ़ जाती है, तो इसमें निवेश करने से बेहतर है कि आप दूसरी कैटिगरी के फंड्स को चुनें. उन्होंने आगे इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि म्यूचुअल फंड इंडस्ट्री, डिस्ट्रिब्यूटर्स और पर्सनल फाइनेंस एक्सपर्ट की मजबूत लॉबी अक्सर निवेशकों को इन जोखिमों के बारे में नहीं बताती है. कई विशेषज्ञों ने डर के कारण इस मुद्दे पर चुप्पी साध रखी है.

स्मॉल और मिड कैप पर चिंता क्यों?

2013-14 में स्मॉल और मिडकैप शेयरों का वैल्यूएशन काफी सस्ता था और इनमें निवेश करने वाले फंड्स ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. इसके चलते इनमें निवेश का आकर्षण बढ़ा है, लेकिन अब इनके वैल्यूएशन बहुत ज्यादा हो गए हैं. ऐसे में भविष्य में शॉर्ट या मिड टर्म में इनसे अच्छे रिटर्न की संभावना कम हो सकती है. आम लोगों की भाषा में कहे तो पहले स्मॉल कैप और मिडकैप शेयर्स 10 साल पहले सस्ते थे, जिनकी वजह से उनमें निवेश करने वाले फंड्स के जरिए निवेशकों को मोटा फायदा हो रहा था. बाजार के विशेषज्ञों का कहना है कि 2023 से ही इस कैटिगरी के शेयर महंगे हो गए हैं. इसलिए इस कैटिगरी में अब निवेश करने वालों के निवेश की औसत लागत अधिक होगी और उन्हें नुकसान उठाना पड़ सकता है. एक्सपर्ट्स इस बात को लेकर आश्वस्त नजर आते हैं कि जिनके निवेश की अवधि 15-20 साल उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है.

सुरक्षित विकल्पों पर फोकस करें

मौजूदा समय में कई फंड मैनेजरों ने कभी भी ‘बेयर फेज़’ यानी लंबी गिरावट का दौर नहीं देखा है क्योंकि एक दशक से बाजार में अच्छा वक्त चल रहा है और रिटर्न ठीकठाक रहा है. अब SIP अंडरवैल्यूड असेट क्लास में किया जाना चाहिए, जहां आकर्षक रिटर्न मिलने की संभावना अधिक हो. यह समय उन पैसों की रक्षा करने का है, जो पिछले पांच वर्षों में निवेशकों ने कमाए हैं. इसलिए फंड को डायवर्सिफाई करने के लिए इक्विटी के साथ-साथ गोल्ड-सिल्वर, रियल एस्टेट और डेट फंड्स जैसे अन्य विकल्पों में भी निवेश करना चाहिए. SIPs को सस्ते असेट क्लासेज जैसे लार्ज-कैप और फ्लेक्सी-कैप फंड्स की ओर डायवर्ट करना चाहिए. शंकरन के अनुसार, बैंकिंग, टेलीकॉम, ऑयल एंड गैस और इंश्योरेंस जैसे सेक्टर्स इस समय बेहतर संभावनाएं दिखा रहे हैं. ऑटो और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर्स लॉन्ग टर्म के लिए अच्छा लग रहे हैं, लेकिन उनके मौजूदा वैल्यूएशन हाई लेवल पर हैं, इसलिए निवेशकों को सतर्क रहना चाहिए.

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