
नई दिल्ली में बुधवार देर शाम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट बैठक हुई. आतंकी हमले के मद्देनजर बुलाई गई इस बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ पांच कड़े निर्णय लिए गए. बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल समेत अन्य वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे.
आतंकी हमले के विरोध में बुधवार को पूरी कश्मीर घाटी में 35 वर्षों में पहली बार बंद देखा गया. इस बंद को समाज के हर वर्ग के लोगों और संगठनों का समर्थन मिला. अधिकारियों ने बताया कि श्रीनगर में अधिकतर दुकानें, पेट्रोल पंप और अन्य व्यावसायिक प्रतिष्ठान बंद रहे. शहर भर में केवल आवश्यक वस्तुओं की दुकानें ही खुली रहीं. सड़कों पर सार्वजनिक वाहन भी सीमित संख्या में नजर आए, लेकिन निजी वाहन सामान्य रूप से चलते रहे. वहीं, सत्तारूढ़ नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के सदस्यों ने आतंकी हमले के विरोध में मार्च निकाला. प्रदर्शनकारियों ने निर्दोष लोगों की जान लेना बंद करो, दुख में एकजुट हों और हिंसा कभी नहीं जीतेगी लिखीतख्तियां लेकर नारे लगाए और दोषियों को कड़ी सजा की मांग की. प्रदर्शनकारी लाल चौक स्थित घंटाघर तक पहुंचे और फिर शांतिपूर्वक वहां से चले गए.
अमेरिका, सऊदी अरब, चीन, रूस, इटली, दक्षिण कोरिया सहित दुनिया के तमाम देशों ने इस इस घिनौनी वारदात की कड़े शब्दों में निंदा की है. देशों ने खुले शब्दों में आतंक के खिलाफ आक्रोश और आतंक से लड़ाई में भारत के साथ होने की बात कही.
भारत और सऊदी अरब ने आतंकवाद को मानवता के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सऊदी अरब दौरे के बाद दोनों देशों ने बुधवार को संयुक्त बयान में ये बात कही. मोदी और सऊदी के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने जोर देते हुए कहा कि आतंकवाद और कट्टरपंथ मानव जाति के लिए भयावह हैं. अमेरिकी सांसदों ने बुधवार को कहा कि अमेरिका भारत के साथ खड़ा है. चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता गुओ जियाकुन ने कहा कि हम इस हमले की कड़ी निंदा करते हैं.
● पाक की 80 फीसदी खेती योग्य भूमि (16 मिलियन हेक्टेयर) सिंधु नदी प्रणाली के पानी पर निर्भर है.
● इससे 23 करोड़ से अधिक लोगों का भरण-पोषण होता है. इसमें पाकिस्तान की सिंधु बेसिन की 61 फीसदी आबादी शामिल है.
● सिंधु और उसकी सहायक नदियों पर पाक के प्रमुख शहर कराची, लाहौर, मुल्तान निर्भर रहते हैं.
● पाकिस्तान की शहरी जल आपूर्ति रुक जाएगी.
● पाकिस्तान में खाद्य उत्पादन में गिरावट आ सकती है, जिससे लाखों लोगों की खाद्य सुरक्षा को खतरा हो सकता है.
● पाकिस्तान के तरबेला और मंगला जैसी बिजली परियोजनाएं इस नदी पर निर्भर हैं.
● बिजली उत्पादन ठप हो जाएगा, जिससे उद्योग और शहरी इलाकों में अंधेरा छा जाएगा.