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ट्रंप सरकार से मिली अडानी की टीम, रॉकेट बन गए समूह के सभी शेयर, 13% तक चढ़ा भाव


नई दिल्ली. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के अनुसार, अडानी समूह ने अमेरिका में गौतम अडानी के खिलाफ आपराधिक आरोपों को हटाने के लिए ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों से मुलाकात की है। यह चर्चा इस साल की शुरुआत से चल रही थी और हाल के हफ्तों में और तेज हो गई है। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि यदि यह गति बनी रही तो अगले एक महीने में इस मामले का समाधान हो सकता है।

रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च में न्यूयॉर्क के ब्रुकलिन में यूएस अटॉर्नी ऑफिस और जस्टिस डिपार्टमेंट के साथ एक बैठक हुई थी। सूत्रों ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि ये बातचीत गोपनीय है। अडानी के प्रतिनिधि यह दलील दे रहे हैं कि गौतम अडानी के खिलाफ मुकदमा राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्राथमिकताओं के अनुरूप नहीं है और इसे फिर से विचार किया जाना चाहिए। अडानी समूह ने ब्लूमबर्ग के आधिकारिक टिप्पणी के अनुरोध का जवाब नहीं दिया।

पिछले साल नवंबर में, अमेरिकी न्याय विभाग (DOJ) ने गौतम अडानी, उनके भतीजे और कार्यकारी निदेशक सागर अडानी, और प्रबंध निदेशक विनीत एस. जैन पर आरोप लगाया था कि उन्होंने अनुबंध हासिल करने के लिए रिश्वत दी और फंड जुटाने के दौरान अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया। साथ ही, अमेरिकी बाजार नियामक सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज कमीशन (SEC) ने समूह के दो निदेशकों के खिलाफ दीवानी शिकायत दर्ज की थी।

अडानी ग्रीन ने इन आरोपों को ‘निराधार’ बताकर खारिज किया था और स्वतंत्र जांच के लिए कानूनी फर्मों को नियुक्त किया था, ताकि सुशासन के सिद्धांतों का पालन करते हुए किसी भी गैर-अनुपालन की जांच की जा सके। इस स्वतंत्र जांच में कोई गैर-अनुपालन या अनियमितता नहीं पाई गई। अडानी एनर्जी ने अपनी परिणाम नोट में कहा कि स्वतंत्र जांच में कोई अनियमितता नहीं मिली और प्रबंधन का मानना है कि कंपनी और उसकी सहायक कंपनियों ने सभी लागू कानूनों का पालन किया है। लंबित कार्यवाही से कंपनी पर कोई भौतिक प्रभाव पड़ने की उम्मीद नहीं है, इसलिए वित्तीय परिणामों में कोई समायोजन नहीं किया गया।

अभियोजन के अनुसार, इन निदेशकों पर तीन आपराधिक आरोप लगाए गए हैं: सिक्योरिटीज धोखाधड़ी की साजिश, वायर धोखाधड़ी की साजिश, और गलत बयानों के जरिए सिक्योरिटीज धोखाधड़ी। SEC की दीवानी शिकायत में आरोप लगाया गया कि निदेशकों ने महत्वपूर्ण तथ्यों को छिपाकर अमेरिकी निवेशकों को गुमराह किया, जो 1933 और 1934 के सिक्योरिटीज एक्ट का उल्लंघन है।

कंपनी ने स्पष्ट किया कि वह न तो अभियोजन में और न ही दीवानी शिकायत में प्रतिवादी है, और मामले की आगे की कार्यवाही लंबित है। इसके बावजूद, अडानी ग्रीन ने प्रबंध निदेशक जैन को अगले पांच साल के लिए फिर से नियुक्त किया है।

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