छत्तीसगढ़ट्रेंडिंगराष्ट्रीय

आदिवासी संस्कृति को समर्पित तोहफा, छत्तीसगढ़ का पहला ट्राइबल म्यूजियम, AI टेक्निक से खिंचवा सकेंगे फोटो

छत्तीसगढ़ की समृद्ध आदिवासी संस्कृति को समर्पित एक अनोखा तोहफा नवा रायपुर में आकार ले चुका है. राज्य का पहला ट्राइबल म्यूजियम अब पूरी तरह तैयार है, जो न सिर्फ जनजातीय समुदाय की परंपराओं को सहेजता है, बल्कि उन्हें जीवंत अंदाज में पेश भी करता है.

यह म्यूजियम छत्तीसगढ़ की जनजातियों के रहन-सहन, पहनावे, आभूषणों और आस्था से जुड़े पहलुओं को बेहद आकर्षक और जीवंत तरीके से दर्शाता है. म्यूजियम की गैलरियों में इंसानी आकार की मूर्तियां रखी गई हैं, जो किसी सजीव दृश्य का एहसास कराती हैं.

ट्राइबल म्यूजियम में हर मूर्ति एक्शन में है. कोई नाचते, कोई काम करते या पारंपरिक जीवन के किसी दृश्य को निभाते हुए नजर आती है. इन्हें देखकर ऐसा लगता है मानो आप किसी आदिवासी गांव की गलियों में चल रहे हों, जहां हर मोड़ पर संस्कृति बोलती नजर आती है.

लाल बंगला क्यों है यूनिक ?

म्यूजियम में एक लाल बंगला भी बनाया गया है. बताया गया है कि, ये भुंजिया जनजाति की रसोई है. इसे रंधनी कुरिया या लाल बंगला कहते हैं. यह लाल मिट्‌टी से बनती है. इसे आदिवासी अपने रहने वाली झोपड़ी से अलग बाहर बनाते हैं. इसमें भुंजिया समुदाय के अलावा कोई और नहीं जा सकता, कोई चला गया तो पूरी रसोई को नष्ट कर देते हैं.

परिवार में या समुदाय में किसी की मौत होने पर ही इसे आग लगाकर या तोड़कर नया बनाया जाता है. इसमें बाध्यता यह है कि, दोबारा बनने पर इसे नई जगह पर ही बनाया जाएगा. पुरानी जगह पर नहीं. इसमें खाना बनाने के लिए भी हांडी, हंसिया, कांसे की थाली लोटा गिलास कटोरी बाटलोई जैसे परंपरागत बर्तन इस्तेमाल होते हैं.

9 करोड़ 27 लाख में बना ट्राइबल म्यूजियम

विभाग के प्रमुख सचिव सोनमणि बोरा ने बताया कि, इस सेंटर को 9 करोड़ 27 लाख में तैयार किया गया है. करीब 10 एकड़ क्षेत्र में आकर्षक आदिवासी संग्रहालय (ट्राइबल म्यूजियम) बनाया गया है. राज्य के पहले ट्राइबल म्यूजियम में आम लोगों को जानकारियां मिलेंगी.

दुनिया भर में ट्राइबल कल्चर पर रिसर्च करने वालों को भी काफी नई चीजें पता चलेंगी. आदिवासियों के हथियार, बाजार, गांव, सबकुछ देखने को मिलेगा. प्रदेश के 43 जनजातीय समुदाय और इनकी उपजातियां यहां बताई गई हैं.

AI टेक्नीक से क्लिक करवा सकेंगे फोटो

ट्राइबल म्यूजियम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए तस्वीरें क्लिक की जाएंगी. आपको एक स्पॉट पर खड़ा होना पड़ेगा, सामने स्क्रीन पर देखेंगे तो तस्वीर क्लिक हो जाएगी. चंद सेकेंड में आपको आपकी तस्वीर बस्तर के पारम्परिक ड्रेस में सजी मिलेगी.

आप बस्तर के वाद्य यंत्रों के साथ डांस करते दिखेंगे, किस तरह की ड्रेस में आपको अपनी तस्वीर खींचवानी है. इसके भी कुछ ऑप्शन अवेलेबल हैं. फोटो क्लिक होने के बाद आप इसका प्रिंट भी अपने साथ घर लेकर जा सकते हैं.

टच स्क्रीन पर मिलेगी पूरी डिटेल

जनजातियों के तीज-त्योहार, पर्व-महोत्सव, विशिष्ट संस्कृति को दिखाया गया है. साथ ही आवास एवं घरेलू उपकरण, शिकार उपकरण, वस्त्र (परिधान), आभूषण, कृषि तकनीक भी बताई गई है.

इसके अलावा जनजातीय नृत्य, जनजातीय वाद्ययंत्रों, आग जलाने, लौह निर्माण, रस्सी निर्माण, फसल मिंजाई (पौधों से बीज अलग करना), कत्था निर्माण, चिवड़ा-लाई निर्माण को दिखाया गया है.

अन्न कुटाई और पिसाई, तेल प्रसंस्करण के लिए उपयोग में लाने जाने वाले उपकरणों और परंपरागत तकनीकों को दर्शाया गया हैं.

Show More

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button