
प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा ने अपनी वसीयत तैयार की थी. उनके निधन के बाद, संपत्तियों और अन्य चीजों का बंटवारा उसी वसीयत के अनुसार किया गया. हालांकि, जिन शेयरों का उल्लेख वसीयत में नहीं किया गया था, उनके भविष्य को लेकर सवाल उठे. यह मामला बॉम्बे हाई कोर्ट में पहुंचा, जहां अदालत ने सभी पक्षों की सुनवाई के बाद निर्णय दिया कि रतन टाटा के लिस्टेड और अनलिस्टेड दोनों प्रकार के शेयरों का मालिकाना हक अब रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडाउमेंट ट्रस्ट के पास होगा. जस्टिस मनीष पिटाले की बेंच ने इस मामले में यह महत्वपूर्ण फैसला सुनाया.
जस्टिस मनीष पिटाले ने स्पष्ट किया कि रतन टाटा की वसीयत में जिन संपत्तियों का उल्लेख नहीं किया गया है, उनका स्वामित्व उन संस्थानों को सौंपा जाना चाहिए, जिन्हें रतन टाटा ने स्थापित किया था. अदालत ने यह भी बताया कि रतन टाटा एंडाउमेंट फाउंडेशन और रतन टाटा एंडाउमेंट ट्रस्ट की स्थापना स्वयं रतन टाटा ने की थी. इसके अलावा, अदालत ने यह निर्णय लिया कि जिन लिस्टेड और अनलिस्टेड शेयरों का वसीयत में जिक्र नहीं किया गया है, उन्हें रतन टाटा के दो ट्रस्टों के बीच समान रूप से बांटा जाएगा. इस संदर्भ में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें अदालत से रतन टाटा के शेयरों के स्वामित्व पर निर्णय लेने की मांग की गई थी.
बेंच के समक्ष मुख्य प्रश्न यह था कि रतन टाटा ने अपनी मूल वसीयत में इन शेयरों का उल्लेख नहीं किया था, लेकिन 22 दिसंबर, 2023 को एक संशोधन किया गया, जिसमें इन्हें शामिल किया गया. संशोधित वसीयत में यह स्पष्ट किया गया कि रतन टाटा की अन्य सभी संपत्तियों को दो हिस्सों में बांटकर उनके दो ट्रस्टों को सौंपा जाएगा, जिसमें लिस्टेड और अनलिस्टेड शेयर भी शामिल हैं. रतन टाटा का निधन 9 अक्तूबर, 2024 को हुआ, और उनके पास कोई पारिवारिक वारिस नहीं था, क्योंकि वे अविवाहित थे. रतन टाटा का नाम भारतीय औद्योगिक क्षेत्र में बड़े सम्मान के साथ लिया जाता है.