Amarnath Yatra : अमरनाथ यात्रा में कबूतरों का जोड़ा देखना माना जाता है बेहद शुभ

अमरनाथ यात्रा 3 जुलाई यानी आज से शुरू हो गई है। गुरुवार सुबह बाबा अमरनाथ की पहली आरती की गई। कड़ी सुरक्षा और चौकसी के बीच हर साल होने वाली अमरनाथ यात्रा दो मार्गों से होती है – अनंतनाग जिले में पारंपरिक 48 किलोमीटर लंबा नुनवान-पहलगाम मार्ग और गांदरबल जिले में 14 किलोमीटर लंबा छोटा लेकिन तीव्र बालटाल मार्ग से। भौगोलिक परिस्थितियों के कारण साल में एकमात्र समय ये है जब अमरनाथ गुफा के दर्शन सुलभ होते हैं। यात्रा का समापन 9 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन होगा। पिछले साल यात्रा 52 दिन चली थी और 5 लाख श्रद्धालुओं ने पवित्र गुफा के दर्शन किए थे।
अमरनाथ की पवित्र गुफा लदार घाटी में स्थित है जो राजधानी श्रीनगर से 141 किमी की दूरी पर और समुद्र तल से 12,756 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। अमरनाथ गुफा वर्ष के अधिकांश समय ग्लेशियरों और बर्फ से ढके पहाड़ों से ढकी रहती है।
जहां भगवान शिव ने बताए थे मां पार्वती को अमर होने के गुप्त रहस्य – इस कथा को सुनाने के लिए वो अकेले मां पार्वती को सुनाना चाहते थे, इसलिए अपना नाग, नंदी, चंद्रमा सभी को पीछे छोड़ गए थे। इसके बाद भगवान शिव ने आग जलाई और मां पार्वती को अमर होने की कथा सुनाई। बीच-बीच में उन्हें हूं-हूं होने की आवाज आती रही, उन्हें लगा माता पार्वती हुंकार भर रही हैं, लेकिन माता पार्वती नहीं दो कबूतर उनकी कथा सुन रहे थे और बीच में गूटर गू, गुटर गू कर रहे थे। जब कथा समाप्त हुई तो शिवजी ने देखा माता पार्वती तो सो रही हैं और दो कबूतर उनकी कथा सुन रहे हैं, इस पर शिवजी को बहुत गुस्सा आया। उन्होंने कबूतरों को श्राप देना चाहा, लेकिन कबूतर का जोड़ा बोला कि अगर आप हमें मार दोगे तो यह कथा झूठी हो जाएगी। इस पर भगवान शिव ने दोनों को कहा कि तुम इस जगह और कथा के साक्षी रहोगे। तब से इस जगह का नाम भी अमरनाथ पड़ा।
कबूतरों के इस जोड़े के दर्शन होते हैं शुभ
अमरनाथ की गुफा में कबूतरों का एक जोड़ा है, जो अमर है। कबूतर के इस जोड़े के दर्शन होना बहुत शुभ माना जाता है।