राम – श्यामा तुलसी में क्या अंतर होता है, घर में कौन सी तुलसी लगाना होता है शुभ
हिंदू धर्म में तुलसी के पौधे का बड़ा महत्व है. धार्मिक ग्रंथों में तुलसी के पौधे में मां तुलसी का वास बताया गया है. घर में तुलसी का पौधा लगाने से सकारात्मक ऊर्जा आती है.
मां तुलसी और भगवान विष्णु का वास माना जाता है. तुलसी की पूजा करने से दोनों की कृपा भी प्राप्त होती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि तुलसी दो प्रकार की होती हैं- राम और श्याम तुलसी. इन दोनों तुलसी का अलग-अलग महत्व है, शास्त्रों के अनुसार घर में कौन सी तुलसी लगानी चाहिए. इन बातों का वर्णन किया है. तो आइए जानते हैं कि राम और श्यामा तुलसी में क्या अंतर है और घर में तुलसी का कौन सा पौधा लगाना चाहिए.
राम तुलसी-
राम तुलसी के पत्ते गहरे हरे रंग के होते हैं. ऐसा माना जाता है कि राम तुलसी भगवान राम को अत्यंत प्रिय थी, इसे राम तुलसी कहा जाता है. राम तुलसी के पत्ते बहुत मीठे होते हैं और इन्हें घर में लगाना बहुत शुभ होता है. इसे लगाने से घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है. पूजा में केवल राम तुलसी का ही प्रयोग किया जाता है.
श्यामा तुलसी-
हिंदू धर्म- भगवान श्री कृष्ण श्यामा तुलसी को बहुत प्यार करते थे. कान्हा का एक नाम श्यामा भी था इसलिए इस तुलसी को श्यामा तुलसी कहा जाता है. श्यामा तुलसी के पत्ते गहरे हरे या जामुनी रंग के होते हैं. इसमें राम तुलसी से कम मिठास होती है.
तुलसी का कौन सा पौधा घर में लगाना शुभ होता है?
शास्त्रों के अनुसार राम और श्यामा तुलसी दोनों का अपना-अपना महत्व है, इसलिए दोनों को ही घर में लगाया जा सकता है. राम तुलसी का प्रयोग अधिकतर घरों में किया जाता है. इससे उन्नति का मार्ग प्रशस्त होता है. गुरुवार, शुक्रवार और शनिवार तुलसी की बुवाई के लिए सबसे शुभ दिन माने जाते हैं. इन दिनों भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की कृपा से तुलसी की माला चढ़ाने से व्यक्ति को धन और सुख की प्राप्ति होती है. दूसरी ओर एकादशी, ग्रहण के दिन, रविवार, सोमवार और बुधवार को तुलसी चढ़ाने से बचना चाहिए.
तुलसी में जल देने के नियम
बिना स्नान करें तुलसी को नहीं छुना चाहिए. सदैव स्नान के बाद ही तुलसी में जल अर्पित करें.
सूर्योदय के समय तुलसी में जल देना शुभ माना जाता है.
एकादशी के दिन भी तुलसी में जल अर्पित न करें. मान्यता है कि इस दिन तुलसी माता भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं.
तुलसी में जल अर्पित करने से पहले कुछ खाना नहीं चाहिए. खाली पेट तुलसी मां को जल देना चाहिए.
तुलसी में जल अर्पित करते समय बिना सिलाई का एक कपड़ा धारण करें और उसे पहन कर ही जल अर्पित करें.