श्रीरामलला के अनुष्ठान16 स्तंभों के पूजन से शुरू होगा
अयोध्या में श्रीरामलला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान का श्रीगणेश 17 जनवरी को यज्ञ मंडप के 16 स्तंभों और चारों द्वारों के पूजन से होगा. इस विधान की पूर्णता के बाद ही आगे के विधान आरंभ किए जाएंगे. यह जानकारी प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य आचार्य पं. लक्ष्मीकांत दीक्षित ने सोमवार को ‘हिन्दुस्तान’ से खास बातचीत में दी.
अयोध्या रवाना होने की पूर्व संध्या पर आचार्य दीक्षित ने बताया कि 16 स्तंभ 16 देवताओं के प्रतीक हैं. गणेश, विश्वकर्मा, बह्मा, वरुण, अष्टवसु, सोम, वायु देवता को सफेद वस्त्रत्त् जबकि सूर्य व विष्णु को लाल वस्त्रत्त्, यमराज-नागराज, शिव, अनंत देवता को काले और कुबेर, इंद्र और बृहस्पति को पीले वस्त्रत्तें में निरूपित किया जाएगा.
चार वेदों के प्रतीक हैं चारों द्वार
मंडप के चार द्वार, चार वेदों और उन द्वार के दो-दो द्वारपाल चारों वेदों की दो-दो शाखाओं के प्रतिनिधि माने गए हैं. पूर्व दिशा ऋग् वेद, दक्षिण यजुर्वेद, पश्चिम दिशा सामवेद और उत्तर दिशा अथर्व वेद की प्रतीक हैं. इनकी विधिवत पूजा के बाद चार वेदियों की पूजा होगी. ये चार वेदियां-वास्तु वेदी, योगिनी वेदी, क्षेत्रपाल वेदी ओर भैरव वेदी कही जाती हैं. इन चार के मध्य प्रधान वेदी होगी. इसे पंचांग वेदी कहा जाता है. पहले दिन प्रधान वेदी के समक्ष पांच प्रकार के पूजन होंगे. इनमें गणेश अंबिका, वरुण, षोडशोपचार व सप्तधृत मात्रिका पूजन एवं नांदी श्राद्ध होगा. इसके बाद प्रधान वेदी पर भगवान राम की मूर्ति रखी जाएगी जिसकी पूजा नित्य होगी. राम मूर्ति की पूजा के बाद प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान शुरू होंगे. भगवान का कर्म कुटीर किया जाएगा. आगे के दिनों में प्राण प्रतिष्ठा होने तक प्रधान वेदी के समक्ष नांदी श्राद्ध को छोड़ कर शेष चार पूजन होंगे.
मुख्य विग्रह का होगा निरीक्षण पांचों वेदियों की पूजा के बाद शिल्पी प्रधान विग्रह को मुख्य आचार्य को सौंप देंगे. इसके बाद आचार्य लक्ष्मीकांत दीक्षित, वेदमूर्ति पं. गणेश्वर शास्त्रत्त्ी, पं. गजानन ज्योतकर, पं.जयराम दीक्षित और पं. सुनील दीक्षित मुख्य विग्रह का निरीक्षण करेंगे. निरीक्षण में सर्वकुशल पाए जाने के बाद विग्रह के संस्कार होंगे.
मुख्य आचार्य हैं पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित
मंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान के मुख्य आचार्य पंडित लक्ष्मीकांत दीक्षित हैं. वर्ष 2020 में पांच अगस्त को मंदिर के हुए भूमि पूजन के अनुष्ठान में भी मुख्य आचार्य थे. दीक्षित के पुत्र पं. अरुण दीक्षित उपाचार्य की भूमिका में थे. प्राण प्रतिष्ठा अनुष्ठान में भी पिता के साथ उपाचार्य की भूमिका में होंगे. अयोध्या में 35 साल पहले विहिप के आह्वान पर हुए शिलान्यास के मुख्य आचार्य वेदमूर्ति महादेव शास्त्रत्त्ी गोडसे थे जो आचार्य दीक्षित के ससुर थे.