खाद्य उत्पादों की कीमतों में नरमी आने से मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति घटकर पांच महीनों के निचले स्तर 4.85 प्रतिशत पर आ गई. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित मुद्रास्फीति फरवरी में 5.09 प्रतिशत थी जबकि मार्च, 2023 में यह 5.66 प्रतिशत पर रही थी. मार्च में खुदरा मुद्रास्फीति पांच महीनों के निचले स्तर पर रही है. इसके पहले अक्तूबर, 2023 में यह 4.87 प्रतिशत रही थी.
भारतीय रिजर्व बैंक के लक्ष्य दायरे में महंगाई: उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) पर आधारित महंगाई आरबीआई के लक्ष्य के दायरे में है. भारतीय रिजर्व बैंक को खुदरा महंगाई दो फीसदी घट-बढ़ के साथ चार फीसदी पर रखने की जिम्मेदारी मिली हुई है. फरवरी में महंगाई दर लगातार सातवें महीने आरबीआई के दो से छह फीसदी के संतोषजनक दायरे में है.
आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने इस वित्त वर्ष की पहली द्विमासिक मौद्रिक नीति समिति की बैठक के परिणामों की घोषणा करते हुए मुद्रास्फीति को प्रमुख चुनौती बताया था.
उस दौरान आरबीआई गवर्नर ने संकेत दिए थे कि खुदरा मुद्रास्फीति धीरे-धीरे चार प्रतिशत की वांछनीय सीमा के भीतर लौट रही है.
शहरों में महंगाई घटी, ग्रामीण इलाकों में बढ़ी
मार्च में शहरी महंगाई दर 4.78 फीसदी से घटकर 4.14 फीसदी हो गई है. हालांकि, इस दौरान ग्रामीण महंगाई में बढ़ोत्तरी दर्ज की गई है. ग्रामीण महंगाई फरवरी के 5.34 फीसदी बढ़कर 5.45 फीसदी हो गई. मार्च के महीने में सब्जी और दाल की कीमतों में गिरावट दर्ज हुई है. सब्जी की महंगाई दर 28.34 फीसदी हो गई है, जो फरवरी के महीने में 30.25 फीसदी थी. इसके अलावा दाल की महंगाई दर 18.90 फीसदी से घटकर 17.1 फीसदी हो गई.
खुदरा महंगाई दर?
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक उपभोक्ता के दृष्टिकोण से वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में परिवर्तन को मापता है. केंद्रीय बैंक मूल्य स्थिरता बनाए रखने की अपनी भूमिका में इस आंकड़े का इस्तेमाल करता है. पूर्वानुमान से अधिक मजबूत आंकड़े आमतौर पर रुपये की मजबूती के लिए सहायक होते हैं, जबकि पूर्वानुमान से कमजोर आंकड़े आमतौर पर रुपये के लिहाज से नकारात्मक होते हैं.