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धनतेरस पर क्यों जलाया जाता है ‘यम दीपक’? जानें मुहूर्त, दीपक जलाने की विधि और महत्व

हिंदू धर्म में पांच दिवसीय पर्व दिपोत्सव की शुरुआत धनतेरस से होती है. धनतेरस के दिन सोना-चांदी के आभूषण समेत कुछ वस्तुओं को खरीदना अति शुभ माना गया है. द्रिक पंचांग के अनुसार, इस साल 29 अक्टूबर को धनत्रयोदशी यानी धनतेरस है. धनतेरस के दिन शाम को शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, गणेशजी,कुबेर देवता और धन्वंतरि देव की पूजा-आराधना का विधान है. इसके साथ ही धनतेरस के दिन यम का दीपक जलाने का भी विशेष महत्व है. धनतेरस के दिन घर के मुख्यद्वार पर चौमुखी दीपक जलाया जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, साल में एक बार धनतेरस के दिन सरसों के तेल में रुई की बाती डालकर दक्षिण दिशा में आटे का दीपक जलाने से यमराज प्रसन्न होते हं और घर में सुख-शांति और आरोग्यता का वरदान देते हैं. आइए जानते हैं यम दीपक जलाने की विधि और धार्मिक महत्व….

यम दीपक कैसे जाएं ?

धनतेरस के दिन आटे का चौमुखा दीपक जलाएं और उसमें सरसों का तेल भर दें. अब दीपक में 4 बाती लगाकर घर के दक्षिण दिशा की ओर मुख करके दीपक जला दें. धनतेरस के दिन प्रदोष काल और खरीदारी,दीपदान और पूजा के शुभ मुहूर्त में यम दीपक जलाना शुभ माना जाता है.

धनतेरस पूजा का मुहूर्त : शाम को 5 बजकर 38 मिनट से लेकर 8 बजकर 13 मिनट तक प्रदोष काल पूजा का शुभ मुहूर्त रहेगा. वहीं, धनतेरस पर पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 6 बजकर 30 मिनट से लेकर रात 08 बजकर 13 मिनट तक रहेगा.

क्यों जलाते हैं यम दीपक ?

धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी, कुबेर देवता, गणेशजी, धन्वंतरि देव के साथ यमराज की भी पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दिन यम देवता की पूजा करने और उनके लिए दीपदान करने से अकाल मृत्यु का भय समाप्त हो जाता है. दक्षिण दिशा के स्वामी यम माने गए हैं. इसलिए धनतेरस के दिन दक्षिण दिशा में आटे से बना चौमुखी दिया जलाया जाता है.मान्यता है कि ऐसा करने से यमराज की कृपा बनी रहती है सुख-शांति और आरोग्य का आशीर्वाद की प्राप्ति होती है.

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