लोग तलाक के लिए अक्सर अनोखे कारण देते हैं. हाल ही में एक व्यक्ति ने कोर्ट में इस आधार पर तलाक की अर्जी दी कि उसकी पत्नी शारीरिक संबंध बनाने से इनकार करती है. शारीरिक संबंधों से इनकार को तलाक का कारण माना जा सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ कानूनी मानदंडों का पालन करना होता है. इलाहाबाद हाईकोर्ट ने इस मामले में व्यक्ति की तलाक की अर्जी खारिज कर दी. कोर्ट ने पाया कि दंपति के बीच लंबे समय तक शारीरिक दूरी के ठोस सबूत नहीं हैं. जस्टिस सौमित्र दयाल सिंह और जस्टिस डोनाडी रमेश की बेंच ने कहा कि ऐसे मामलों में अदालत का हस्तक्षेप सीमित होता है, क्योंकि यह निजी अधिकार का मुद्दा है.
क्या था मामला?
कोर्ट में अर्जी दाखिल करने वाला व्यक्ति पेशे से डॉक्टर है और दिल्ली के एक निजी अस्पताल में कार्यरत है. उसकी पत्नी, जो भारतीय रेलवे में डॉक्टर थीं, अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुकी हैं. उनकी शादी 1999 में हुई थी और दो साल के भीतर ही उनके दो बच्चे हुए. शादी के लगभग 9 साल बाद पति ने यह आरोप लगाते हुए तलाक की अर्जी दी कि उसकी पत्नी शारीरिक संबंध बनाने से मना करती है. पहले उसने मिर्जापुर के पारिवारिक न्यायालय में यह अर्जी दाखिल की थी, जहां से उसे खारिज कर दिया गया. इसके बाद उसने इलाहाबाद हाईकोर्ट का रुख किया.
पति का दावा था कि उसकी पत्नी किसी धार्मिक गुरु के प्रभाव में आकर शारीरिक संबंध से परहेज करती है, लेकिन पत्नी ने इन आरोपों को नकार दिया. उसने कोर्ट में कहा कि उनके दो बच्चों का होना यह दर्शाता है कि उनके बीच सामान्य और स्वस्थ संबंध थे.
कोर्ट का निर्णय
अर्जी पर सुनवाई करते हुए इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तलाक देने से इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि दंपति के बीच पहले से सामान्य शारीरिक संबंध रहे हैं, जिसका प्रमाण उनके दो बच्चे हैं. कोर्ट ने यह भी कहा कि पति-पत्नी के बीच शारीरिक संबंधों की बात को कानूनी दायरे में लाना अदालत का काम नहीं है, क्योंकि यह उनका व्यक्तिगत मामला है. अदालत ने यह माना कि लंबे समय तक शारीरिक दूरी साबित होने पर ही तलाक का आधार बन सकता है.
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का फ़ैसला
हाल ही में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने एक निर्णय में कहा था कि पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से लगातार इनकार करना मानसिक उत्पीड़न की श्रेणी में आता है. कोर्ट ने इसे हिंदू विवाह अधिनियम के तहत तलाक का वैध आधार मानते हुए, पति को तलाक की मंजूरी दी थी.