
वैश्विक बाजारों में कमजोरी के रुख के बीच बुधवार को राष्ट्रीय राजधानी में सोने का भाव 650 रुपये घटकर 96,850 रुपये प्रति 10 ग्राम रह गया. दूसरी ओर, चांदी की कीमतों में लगातार तीसरे दिन गिरावट जारी रही और बुधवार को यह 1,450 रुपये घटकर 98,000 रुपये प्रति किलोग्राम पर आ गई.
जानकारों ने कहा, व्यापार तनाव कम होने से सोने की कीमतों में गिरावट जारी है, क्योंकि प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका के साथ व्यापार समझौते कर रही हैं. वैश्विक बाजारों में सोने का हाजिर भाव 20.65 डॉलर घटकर 3,229.64 डॉलर प्रति औंस रह गया.
चांदी आगे भी सबसे ज्यादा जेब भरेगी
कैलेंडर वर्ष की शुरुआत से अब तक सोने की कीमत में 25.1% की बढ़ोतरी हुई है, जबकि चांदी में 13.5% की बढ़ोतरी हुई है. बीते वर्ष चांदी ने 40% से अधिक का मुनाफा कराया, जबकि सोने से 28% के करीब रिटर्न मिला. था. विशेषज्ञों का अनुमान है कि सवा साल में चांदी 1,25,000 रुपये हो सकती है.
विशेषज्ञों का कहना है कि लंबे समय में चांदी की मांग मजबूत बनी रहेगी, खासकर सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में इसके उपयोग के कारण. चीन की नवीकरणीय ऊर्जा पर बढ़ती निर्भरता से चांदी की मांग को स्थायित्व मिल सकता है. अप्रैल में चीन ने पहली बार अपनी पवन और सौर क्षमता को अपने थर्मल (कोयला आधारित) उत्पादन से अधिक बताया.
सोना 650 रुपये टूटा, चांदी भी लुढ़की
सोने की कीमतों में इस साल जबरदस्त उछाल देखा गया है, लेकिन चांदी इस दौड़ में काफी पीछे रह गई है. विशेषज्ञों का मानना है कि हाल में दुनियाभर में तनाव घटे हैं. इससे सोने की रफ्तार मंद पड़ेगी और चांदी को चमकने का मौका मिलेगा. बदलते हालात और औद्योगिक मांग चांदी को नई ऊंचाइयों पर ले जाएगी.
बदलती परिस्थितियां चांदी के पक्ष में
वैश्विक स्तर पर कई परिदृश्य तेजी से बदले हैं. इनमें प्रमुख भारत और यूके के बीच हुआ द्विपक्षीय व्यापार समझौता, अमेरिका और चीन के बीच हुआ व्यापार समझौता शामिल हैं. इसके अलावा यूक्रेन और रूस के बीच संघर्ष विराम के आसार बन रहे हैं. वहीं, भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम हो गया है. विशेषज्ञों का कहना है कि इन बदले हुए हालातों से जिन देशों में कारोबारियों गतिविधियां प्रभावित हुईं थी, उनमें तेजी आएगी. इससे चांदी की औद्योगिक मांग, जैसे सौर पैनलों और हरित ऊर्जा उपकरणों में तेज इजाफा दिख सकता है. सोने की तुलना में चांदी का औद्योगिक उपयोग अधिक व्यापक है, जो आने वाले महीनों में इसकी कीमतों को बढ़ाने वाला कारक बन सकता है.
सोने-चांदी के बीच संतुलन बिगड़ा
आम तौर पर सोना, चांदी की तुलना में 40 से 60 गुना महंगा होता है, जबकि वर्तमान में यह अनुपात 100 गुना तक पहुंच गया है, जो असामान्य स्थिति है. इससे पहले यह स्तर मार्च 2020 में, कोविड महामारी के शुरुआती दिनों में देखा गया था. विशेषज्ञों के अनुसार, यह असंतुलन संकेत देता है कि चांदी में तेजी की संभावना है. अगर इतिहास देखें तो अगली रैली में चांदी का दबदबा हो सकता है, न कि सोने का.
धातु इस साल पिछले साल
सोना 25.1 28
चांदी 13.5 40