
देश को मार्च 2026 से पहले नक्सलमुक्त करने के अभियान में सुरक्षा बल शून्य घटना की रणनीति पर काम कर रहे हैं। तय समयसीमा के पहले देश के नक्सल प्रभावित जिलों में नक्सल घटनाओं की संख्या शून्य करनी होगी। एक अधिकारी ने कहा कि हम इसी दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। नक्सल प्रभाव वाले जिलों की संख्या की बात करें तो आधिकारिक आंकड़ों से इतर मुख्य चुनौती तीन जिलों तक ही सीमित है। सबसे ज्यादा चुनौती सुकमा, नारायणपुर और बीजापुर में है।
गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में नक्सलवाद से प्रभावित जिलों की कुल संख्या पहले 38 थी। इनमें से सबसे अधिक प्रभावित जिलों की संख्या अब घटकर छह हो गई है। साथ ही चिंताजनक स्थिति वाले जिलों और अन्य वामपंथी उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या में भी समानांतर कमी आई है।
प्रभावित क्षेत्र सिर्फ 4200 वर्ग किलोमीटर बचा : नक्सली आर्थिक ढांचे जैसे कि रेलवे प्रॉपर्टी, पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर की इकाइयों, टेलीफोन एक्सचेंज, मोबाइल टॉवर, सड़क, स्कूल को निशाना बनाते रहे हैं। पिछले कुछ साल से इन घटनाओं मे कमी आई है। वर्ष 2010 में हमले के ऐसे 365 मामले थे, जो 2024 में घटकर 25 रह गए। इस साल अब तक लगभग 300 नक्सली मारे जा चुके हैं। वर्ष 2017 में 136 नक्सली मारे गए, जबकि 2023 में ये आंकड़ा बढ़कर 380 हो गया। वर्ष 2024 में भी 290 नक्सली मारे गए। पहले नक्सल प्रभावित क्षेत्र 18 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा था, अब सिर्फ 4200 वर्ग किलोमीटर बचा है।
वारदातों में 81% की गिरावट
वर्ष 2010 में नक्सली हिंसा की 1936 घटना हुई थी, जबकि 2024 में ये आंकड़ा घटकर महज 374 रह गया। यानि कि नक्सली हिंसा की घटना में 2010 की तुलना में 81 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई। वर्ष 2013 में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी, जो 2025 में घटकर 18 हो गई है। वर्ष 2013 में 126 जिले नक्सल प्रभावित थे। वर्ष 2021 में घटकर 70 जिले रह गए।
ये छह जिले अभी सबसे ज्यादा प्रभावित
सबसे अधिक प्रभावित छह जिलों में छत्तीसगढ़ (बीजापुर, कांकेर, नारायणपुर और सुकमा) के चार, झारखंड (पश्चिमी सिंहभूम) का एक और महाराष्ट्र (गढ़चिरौली) का एक जिला शामिल है।
इनकी संख्या घट गई
चिंताजनक स्थिति वाले जिलों की संख्या (जिन्हें गहन संसाधनों और ध्यान की आवश्यकता है) 9 से घटाकर 6 कर दी गई है। ये जिले आंध्र प्रदेश (अल्लूरी सीताराम राजू), मध्य प्रदेश (बालाघाट), ओडिशा (कालाहांडी, कंधमाल और मलकानगिरी) और तेलंगाना (भद्राद्री-कोठागुडेम) में स्थित हैं।