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छत्तीसगढ़ का पहला ऑपरेशन: छाती की हड्डी और मास से डॉक्टरों ने बनाई श्वास नली, हाई टेंशन तार से चिपक गया था मासूम… डॉ कमलेश अग्रवाल ने किया ऑपरेशन

रायपुर. फल तोड़ने पेड़ पर चढ़े मासूम को हाई टेंशन तार ने अपनी चपेट में ले लिया, हादसे में मासूम बुरी तरह झुलस गया और इस दौरान उसकी श्वास नली बुरी तरह जल गई. इस मासूम को महादेव घाट रोड रायपुरा चौक स्थित ओम हॉस्पिटल के डॉक्टरों ने छाती की हड्डी और मास से नई श्वास नली बनाई गई है. ये ऑपरेशन बर्न एवं प्लास्टिक सर्जन डॉ कमलेश अग्रवाल और ईएनटी विशेषज्ञ डॉ निधिन बी द्वारा किया गया है. डॉ कमलेश अग्रवाल ने इससे पहले भी कई क्रिटिकल ऑपरेशन ऐसे किए है जो केवल बड़े शहरों में होते थे, जिसका लाभ उन्होंने प्रदेश की जनता को दिया है.

मरीज का चेकअप करते डॉ कमलेश अग्रवाल

 महासमुंद जिले के सोनदादर के छुईहा पंचायत के रहने वाले मिथलेश ध्रुव के पिता ने बताया कि उनका बेटा कोई फल तोड़ने दोस्तों के साथ गया था. 15 वर्षीय मिथलेश और उसके दोस्त पेड़ में चढ़े. इसी दौरान हाई टेंशन तार ने उसे अपनी चपेट में ले लिया. मासूम बुरी तरह झुलस गया, जिसके बाद परिजनों को इसकी जानकारी मिली और वे उसे पहले बागबाहरा के शासकीय अस्पताल और फिर महासमुंद के एक निजी अस्पताल लेकर पहुंचे, जहां मासूम का ऑपरेशन किया गया. लेकिन ऑपरेशन फेल हो गया, इस दौरान नली के माध्यम से मासूम सांस लेता रहा. इसके बाद मासूम को ओम हॉस्पिटल लाया गया. जहां डॉ कमलेश अग्रवाल और डॉ निधिन बी के नेतृत्व में ऑपरेशन किया गया.

डॉ कमलेश अग्रवाल बताते है कि ये छत्तीसगढ़ का पहला ऐसा ऑपरेशन है जिसमें छाती की हड्डी और मासपेशियों से मासूम की श्वास नली बनाई गई है. इसे करने के लिए जब उन्होंने तैयारी की तो उन्हें भी ऐसे ऑपरेशन को करने के लिए बहुत अधिक लिट्रेचर नहीं मिले. यही कारण है कि वे कह रहे है कि ये छत्तीसगढ़ का पहला केस है. उन्होंने कहा कि मरीज को 1-2 दिनों में डिस्चार्ज किए जाने की तैयारी है. चूंकि मरीज के अन्य घाव अभी भरे नहीं है, इसलिए उसे अस्पताल में रखा गया है. वहीं मरीज अब खुद से खाना-पीना भी कर रहा है.

बोलने की ग्रंथी भी है पैरालाइज

डॉ कमलेश बताते है कि हाई टेंशन तार की चपेट में आने से मासूम की श्वास नली तो जली ही वहीं, बोलने की ग्रंथी भी पैरालाइज हो गई है. वहीं इस ऑपरेशन के बाद अब मरीज स्वस्थ्य है. लेकिन बोलने वाली ग्रंथी में इसका क्या असर होगा ये 1-2 महीने की रिकवरी के बाद ही स्पष्ट होगा.

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