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यूपी, पंजाब सहित कई राज्यों के छात्रों को ऑस्ट्रेलिया के पांच विश्वविद्यालयों में नहीं मिलेगा दाखिला

ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने का सपना देख रहे हरियाणा, पंजाब, यूपी, गुजरात के छात्र अब वहां के पांच विश्वविद्यालयों में दाखिला नहीं ले सकेंगे. फर्जी आवेदनों में वृद्धि के बीच ऑस्ट्रेलिया के कम से कम पांच विश्वविद्यालयों ने भारत के कुछ राज्यों के छात्रों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है.

ऑस्ट्रेलियाई मीडिया के अनुसार, विक्टोरिया विश्वविद्यालय, एडिथ कोवान विश्वविद्यालय, वोलोंगोंग विश्वविद्यालय, टॉरेंस विश्वविद्यालय और साउथ क्रॉस विश्वविद्यालय ने भारतीय छात्रों के आवेदनों पर प्रतिबंधात्मक कार्रवाई की है.

फरवरी में पर्थ स्थित एडिथ कोवान विश्वविद्यालय ने भारतीय राज्यों-पंजाब और हरियाणा के आवेदकों पर प्रतिबंध लगा दिया. इसके बाद मार्च में विक्टोरिया विश्वविद्यालय ने उत्तर प्रदेश, राजस्थान और गुजरात सहित आठ भारतीय राज्यों के छात्रों के आवेदनों पर प्रतिबंध बढ़ा दिए. यह घटनाक्रम ऑस्ट्रेलियाई प्रधानमंत्री एंथनी अल्बानीस के भारत दौरे के दौरान विश्वविद्यालयों एवं कॉलेजों के साथ एक नए समझौते की घोषणा किए जाने के बाद हुआ. ऑस्ट्रेलिया में इस साल भारतीय छात्रों की संख्या वर्ष 2019 के 75,000 के सर्वाधिक आंकड़े को पार कर सकती है. मीडिया रिपोर्ट में मंगलवार को कहा गया कि छात्रों की संख्या में मौजूदा वृद्धि से ऑस्ट्रेलिया की आव्रजन प्रणाली और देश के आकर्षक अंतरराष्ट्रीय शिक्षा बाजार पर संभावित दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर सांसदों और शिक्षा क्षेत्र से लोगों ने चिंता व्यक्त की है. शिक्षाविदों का कहना है कि छात्र संख्या में काफी वृद्धि होगी, लेकिन इसके साथ ही फर्जी छात्रों की संख्या भी बढ़ी है. इससे निपटने को अब प्रतिबंध लगा रहे हैं.

ये देश देते हैं मुफ्त शिक्षा

दुनिया में कुछ ऐसे देश भी हैं, जहां भारतीय छात्रों को मुफ्त शिक्षा दी जाती है और इसके लिए कोई फीस नहीं ली जाती. यह देश छात्रों को हॉस्टल, छात्रवृति और किताबों आदि का खर्चा खुद देते हैं बस ट्यूशन फीस छात्रों से ली जाती है. इन देशों में फिनलैंड का नाम सबसे ऊपर है, लेकिन यहां इंग्लिश में शिक्षा प्राप्त करने के लिए ट्यूशन फीस चुकानी पड़ती है. स्वीडन में कई यूनिवर्सिटी फ्री में पीएचडी करवाती हैं और छात्रों को छात्रवृति भी देती हैं. जर्मनी के 16 विश्वविद्यालय दुनिया में शीर्ष पर हैं. यहां उच्च शिक्षा के लिए न के बराबर फीस ली जाती है, जबकि कुछ में शिक्षा निशुल्क है. नॉर्वे एक ऐसा देश है जहां पर शिक्षा मुफ्त दी जाती है लेकिन आपको यहां की भाषा आना जरूरी है,

हर साल विदेश पढ़ने जाते हैं लाखों भारतीय छात्र

एक रिपोर्ट के मुताबिक, सौ से ज्यादा देशों में भारतीय छात्र पढ़ने के लिए जाते हैं. सबसे ज्यादा पंसदीदा देशों में कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, ब्रिटेन का नाम आता है. इसके बाद भारतीय छात्र पढ़ाई के लिए उज्बेकिस्तान, फिलीपींस, रूस, आयरलैंड, किर्गिस्तान और कजाकिस्तान भी जाना पसंद करते हैं. 2022 में विदेश पढ़ने जाने वाले छात्रों की संख्या 7.5 लाख थी. 2019, 5.86 लाख छात्रों ने विदेशी धरती का रुख किया. 2020 में महामारी आ जाने से ये संख्या घटकर 2.6 लाख रह गई.

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