भारत में तेजी से हीटवेव (ऊष्ण लहर) की तीव्रता और घातकता में बढ़ोतरी हो रही है. इनकी जद में देश की 80 आबादी और 90 क्षेत्रफल आ चुका है. ताजा रिपोर्ट में आशंका जताई गई कि यदि उष्ण लहर से निपटने को कदम नहीं उठाए गए तो भारत को सतत विकास लक्ष्य (एसडीजी) को प्राप्त करने में मुश्किल हो सकती है.
कैंब्रिज विश्वविद्यालय का यह अध्ययन पलोस क्लाईमेट में बुधवार को प्रकाशित हुआ है. रामित देबनाथ और साथियों के अध्ययन में भारत के 2022 के गर्मी सूचकांक (एचई) और 2019-20 के जलवायु संवेदनशीलता सूचकांक (सीवीआई) के आंकड़ों को आधार बनाया गया है. इन आंकड़ों के अनुसार जलवायु संवेदनशीलता के दायरे में देश का 20 फीसदी क्षेत्र है, वहीं गर्मी सूचकांक में 90 फीसदी हिस्सा खतरे में है.
इसमें पश्चिम बंगाल को छोड़कर समूचा पूर्वी क्षेत्र, उत्तर और मध्य भारत के सभी राज्य शामिल हैं. पूरी दिल्ली गर्मी हवाओं के खतरे की जद में है. सुबह से लेकर शाम तक लोगों को हीटवेव का सामना करना पड़ रहा है. अध्ययन का निचोड़ यह है कि भीषण गर्मी के दौरान चलने वाली उष्ण लहरें देशकी 80 फीसदी आबादी के लिए खतरा पैदा करने लगी हैं.