धनतेरस के दिन से शुरू हो रहा यम पंचक
यम पंचक, कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में आने वाली पांच विशेष तिथियों का समूह होता है, जो धनतेरस से शुरू होकर यम द्वितीया तक चलता है. इसमें कुछ ग्रहों की विशेष स्थिति के कारण इसे अशुभ (inauspicious) माना जाता है, और मान्यता है कि यमराज का प्रभाव इस दौरान बढ़ जाता है. इस समय स्वास्थ्य और दुर्भाग्य (misfortune) से जुड़े कार्यों में विशेष सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है.
यम पंचक में क्या करें और क्या न करें
हिंदू धर्म में यम पंचक के दौरान विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश और अन्य शुभ कार्यों को वर्जित माना गया है. इस दौरान लंबी यात्रा से भी बचना चाहिए, और किसी भी नए कार्य (new beginnings) को आरंभ करने से परहेज करना चाहिए. इसके विपरीत, भगवान विष्णु और यमराज की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है. इस दौरान गरीबों को दान (charity) करने से पितरों का आशीर्वाद भी मिलता है.
यम पंचक के 5 पर्व
यम पंचक में कार्तिक मास में लगातार पांच पर्व मनाए जाते हैं, जिनमें यमराज, धनवंतरि, लक्ष्मी-गणेश, हनुमान और गोवर्धन पूजा का विधान है. इन पर्वों का महत्व और पूजा विधान इस प्रकार है:
1. धनतेरस (29 अक्टूबर)
धनतेरस, जिसे धनत्रयोदशी भी कहा जाता है, यमराज की आराधना का पर्व है. इस दिन लोग यम दीप जलाकर अकाल मृत्यु से बचने की प्रार्थना करते हैं. इसके साथ-साथ, लोग देवी लक्ष्मी की पूजा और धन संबंधी वस्तुओं की खरीदारी (purchase) भी करते हैं, जो आर्थिक समृद्धि का प्रतीक है.
2. नरक चतुर्दशी (30 अक्टूबर)
नरक चतुर्दशी, जिसे नरका चौदस और हनुमान जयंती भी कहा जाता है, इस दिन एक पुराने दीपक में चार बत्तियों जलाने का विधान है. इस कर्म को अशुभ ऊर्जा से मुक्ति का प्रतीक (symbol of cleansing) माना जाता है. प्रातःकाल सरसों के तेल से स्नान कर यमराज को तर्पण देना भी इस दिन की परंपरा है.
3. दीपावली (31 अक्टूबर / 1 नवंबर)
दीपावली को तंत्र साधकों के लिए विशेष माना गया है, और इसे “कालरात्रि” का नाम दिया गया है. इस दिन सूर्यास्त से सूर्योदय तक तंत्र साधना (spiritual rituals) का विशेष समय होता है. लोग भगवान गणेश और देवी लक्ष्मी की पूजा करते हैं, और यह रात नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने का प्रतीक मानी जाती है.
4. अन्नकूट और गोवर्धन पूजा (2 नवंबर)
अन्नकूट के दिन भगवान श्री कृष्ण को छप्पन भोग अर्पित किए जाते हैं, और विशेष झांकियों का आयोजन (display) किया जाता है. गोवर्धन पूजा भी इसी दिन मनाई जाती है, जो गोवर्धन पर्वत के सम्मान में है, जिसे भगवान कृष्ण ने अपनी रक्षा के लिए उठाया था.
5. भाई दूज (3 नवंबर)
भाई दूज, भाई-बहन के प्रेम का पर्व है. इस दिन भाई अपनी बहन के घर जाकर उसके द्वारा बनाए भोजन का आदान-प्रदान (exchange) करते हैं, और उसे उपहार स्वरूप वस्त्र और मिठाई देकर सम्मानित करते हैं. यह पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाने का प्रतीक है.
यम पंचक का यह समय सतर्कता, सावधानी और पूजा का होता है. इन उपायों से जीवन में सौभाग्य और समृद्धि बनी रहती है और अशुभ प्रभावों को दूर रखने में सहायक होते हैं.