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Mankind Pharma: मैनफोर्स कंडोम बनाने वाली कंपनी का आ रहा IPO, अभी से 90 रुपये का फायदा… 60,000 करोड़ की कंपनी का आने वाला है IPO

मैनफोर्स कंडोम बनाने वाली कंपनी मैनकाइंड फार्मा (Mankind Pharma) का आईपीओ आ रहा है. मैनकाइंड फार्मा का आईपीओ मंगलवार 25 अप्रैल 2023 को सब्सक्रिप्शन के लिए खुलेगा और यह 27 अप्रैल 2023 तक ओपन रहेगा. 4326.36 करोड़ रुपये का यह आईपीओ पूरी तरह से ऑफर फॉर सेल (OFS) है. मैनकाइंड फार्मा ने आईपीओ का प्राइस बैंड 1026 रुपये से 1080 रुपये फिक्स किया है. आईपीओ के एक लॉट में 13 शेयर होंगे.

आईपीओ खुलने से पहले ही 90 रुपये का प्रीमियम

मैनकाइंड फार्मा का आईपीओ अभी ओपन ही नहीं हुआ है, लेकिन इसके शेयरों को ग्रे मार्केट में जबरदस्त रिस्पॉन्स मिल रहा है. बाजार के जानकारों के मुताबिक, कंपनी के शेयर ग्रे मार्केट में 90 रुपये के प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं. अगर मैनकाइंड फार्मा के शेयर 1080 रुपये के अपर प्राइस बैंड पर अलॉट होते हैं और 90 रुपये का प्रीमियम बना रहता है तो कंपनी के शेयर 1170 रुपये पर लिस्ट हो सकते हैं.

कंपनी के शेयर 8 मई को बीएसई और एनएसई पर लिस्ट हो सकते हैं. आप मैनकाइंड फार्मा के आईपीओ में 1 लॉट के लिए आवेदन कर सकते हैं, जबकि अधिकतम 14 लॉट के लिए आवेदन किया जा सकता है. Mankind Pharma के आईपीओ में एक लॉट में निवेश करने के लिए आपको ₹14000 की जरूरत पड़ेगी.

जाने रमेश जुनेजा के बारे में

मेरठ के रहने वाले रमेश जुनेजा ने ग्रेजुएशन करने के बाद 1974 में नी फार्मा कंपनी में मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के रूप में करियर की शुरुआत की. साल 1955 में पैदा हुए रमेश जुनेजा मेरठ से पुरकाजी यूपी रोडवेज की बस में रोजाना डॉक्टर से मिलने जाते थे. पुरकाजी और आसपास के इलाके में डॉक्टर से मिलने के लिए जुनेजा दो-दो घंटे का इंतजार करते थे. जुनेजा अपने मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के पेशे में धीरे-धीरे आगे बढ़ रहे थे.
रमेश जुनेजा की सोच और कड़ी मेहनत का ही नतीजा है कि वह आज मैनकाइंड फार्मा को ₹60000 करोड़ की कंपनी बना चुके हैं. करीब 1 साल तक नी फार्मा में काम करने के बाद रमेश जुनेजा ने साल 1975 में लुपिन ज्वाइन किया और यहां 8 साल तक फर्स्ट लाइन मैनेजर के रूप में अपनी नौकरी की.

साल 1983 में उन्होंने लूपिन से इस्तीफा दे दिया और अपने एक पार्टनर के साथ बेस्टोकेम नाम की कंपनी शुरू की. साल 1994 में उन्होंने बेस्टोकेम से रिश्ता तोड़ लिया और साल 1995 में अपने छोटे भाई राजीव जुनेजा के साथ ₹50 लाख के निवेश से मैनकाइंड फार्मा की शुरुआत की.

रमेश जुनेजा की शुरुआती टीम में 25 मेडिकल रिप्रजेंटेटिव थी. साल 1995 में ही मैनकाइंड फार्मा चार करोड़ की कंपनी बन गई. दवा कंपनी शुरू करने के बाद दवा की क्वालिटी के साथ जुनेजा ने इसकी कीमत का भी खास ध्यान रखा. इसके साथ ही वह अपनी बिजनेस स्ट्रेटेजी में भी लगातार नई चीजें शामिल करते रहे. रमेश जुनेजा हाल में ही फोर्ब्स की रिचेस्ट इंडियन की लिस्ट में शामिल हुए हैं.

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