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समय से पहले जन्मे और कम वजन वाले नवजात आईसीयू में मां मौजूदगी से ज्यादा महफूज रखा जा सकता है. सफदरजंग अस्पताल के अध्ययन में यह साबित भी हुआ है. इसमें पाया कि संक्रमण से बचाने के लिए नवजात को मां से अलग करने के बजाय कंगारू मदर केयर देने से सेप्सिस के कारण होने वाली मौत के मामले 37 फीसदी तक कम हो सकते हैं.
सफदरजंग अस्पताल के बाल रोग विभाग के पूर्व अध्यक्ष और सोसाइटी फॉर अप्लाइड स्टडी के वैज्ञानिक डॉ हरीश चेलानी ने बताया कि कंगारू मदर केयर पहले से ही प्रभावी माना जाता है. हालांकि, नया अध्ययन यह साबित करता है कि जन्म के तुरंत बाद इसे शुरू करना बच्चों को सेप्सिस से भी बचा सकता है. आम तौर पर सेप्सिस वाले बच्चों से मां को इसलिए दूर रखा जाता था कि बच्चे और संक्रमित न हो जाएं.
सेप्सिस को सेप्टिसीमिया या रक्त विषाक्तता भी कहते हैं. यह गंभीर बीमारी है जो अक्सर बच्चों में संक्रमण बढ़ने की वजह से हो जाती है. बच्चों की प्रतिरोधक क्षमता कम होने से यह जानलेवा भी हो जाता है.
अध्ययन के अहम बिंदु
● अध्ययन कम वजन या समय से पहले जन्मे 3200 शिशुओं पर किया गया है
● इस अध्ययन में 1.8 किलो से कम वजन के बच्चे शामिल किए गए थे
● आधे शिशुओं को जन्म के तुरंत बाद कंगारू मदर केयर दी गई
● इन्हें एक दिन में 16 घंटे तक मां की त्वचा से शिशु की त्वचा का संपर्क कराया गया
● अन्य 1600 शिशुओं को नियंत्रित समूह में रखा गया
● इन्हें तीन से सात दिन में मां की त्वचा से संपर्क कराया गया और वह भी सिर्फ 1.5 घंटे
● तुरंत कंगारू मदर केयर शुरू करने वाले वाले समूह को सेप्सिस से ज्यादा बचाव मिला.
क्या है कंगारू मदर केयर
कंगारू की तरह नवजात बच्चों के लिए उसकी मां की त्वचा से त्वचा का संपर्क कराया जाता है. जो नवजात शिशु की वृद्धि और विकास में मदद करती है. साथ ही बच्चे को स्तनपान भी कराया जाता है.