नई दिल्ली . दिल्ली पुलिस ने चीनी लोन ऐप के जरिये कम ब्याज पर लोन देकर जबरन वसूली करने वाले गिरोह का पर्दाफाश किया है. इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) यूनिट ने गिरोह के छह जालसाजों को गिरफ्तार किया है. गिरोह पर देशभर के हजारों लोगों से सैकड़ों करोड़ रुपये वसूलकर क्रिप्टो करेंसी के जरिये विदेशों में भेजने का आरोप है.
अबतक आरोपियों के खातों की हुई जांच में खुलासा हुआ कि इन लोगों ने पिछले कुछ दिनों के भीतर ही करीब 350 करोड़ रुपये विदेश भेजे हैं. दूसरी ओर गैंग ने शॉर्ट-टर्म लोन के रूप में करीब 83 करोड़ रुपये दिए, जिसके बदले ये लोगों से वसूली करते थे. खासबात यह है कि पुलिस को नेशनल क्राइम रिकॉर्ड पोर्टल पर कैश एडवांस नामक लोन एप्लीकेशन से वसूली की अबतक 1977 शिकायतें मिल चुकी हैं. गिरफ्तार आरोपियों में गुजरात के सूरत निवासी मुस्ताजाब गुलाम मोहम्मद नवीवाला, अनीस भाई अशरफ भाई विंची, नादिया, पश्चिम बंगाल निवासी गोकुल बिस्वास और दिल्ली निवासी अशोक, बलवंत और नितिन शामिल हैं. पुलिस ने आरोपियों के बैंक खातों में मौजूद 60 लाख रुपये फ्रीज कर दिए.
आरोपियों के पास से 7 मोबाइल, 15 डेबिट कार्ड, एक लैपटॉप और अन्य सामान बरामद हुआ है. यह गिरोह फर्जी कंपनियां खोलकर वसूली की रकम इन कंपनी के खातों में डालते थे. इसमें से रकम को क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर इसे विदेश भेज दिया जाता था.
रकम चुकाने के बाद किया ब्लैकमेल
आईएफएसओ यूनिट के डीसीपी प्रशांत पी गौतम ने बताया कि पिछले दिनों मॉडल टाउन निवासी जय गोयल ने ब्लैकमेल कर जबरन वसूली किए जाने की शिकायत की थी. पीड़ित ने बताया कि उनको सोशल मीडिया के जरिये लोन ऐप कैश एडवांस का पता चला तो उन्होंने शॉर्ट-टर्म लोन ले लिया. आरोप है कि लोन लेने के बाद उनके मोबाइल का पूरा डाटा, फोटो, वीडियो और कांटेक्ट लिस्ट की एक्सेस ले ली गई. लोन चुकाने के बाद भी उनके फोटो से छेड़छाड़ कर ब्लैकमेल कर मोटी रकम वसूली गई.
कई शहरों में फर्जी कंपनियां खोलीं
आरोपी नितिन को छोड़कर बाकी सभी ने अलग-अलग शहरों में फर्जी कंपनियां खोली हुई हैं. वसूली की रकम इनके खातों में आती थी. कई चीनी लोन ऐप कंपनियों में टीम लीडर के रूप में काम कर चुका नितिन रुपयों को ठिकाने लगाता था. पुलिस आरोपियों से पूछताछ कर गिरोह के पूरे नेटवर्क को खंगालने में जुट गई है. जिन सदस्यों के बारे में जानकारी मिली है उनकी तलाश में छापेमारी कर रही है.
ऐसे हुआ गिरोह का खुलासा
पुलिस टीम ने शिकायत मिलने के बाद केस दर्ज किया और मामले की जांच शुरू की. टेक्निकल सर्विलांस के जरिये बैंक खातों को खंगाला तो पता लगा कि आरोपियों ने दिल्ली, सूरत, केरल और कोलकाता में कई फर्जी कंपनियां बनाई हैं. वसूली की रकम इन कंपनियों के खातों में ट्रांसफर कर उसे क्रिप्टोकरेंसी में बदलकर विदेश भेज दिया जाता है. इसके बाद पुलिस ने ताबड़तोड़ छापेमारी कर इन छह आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया.