दवाओं की गुणवत्ता में सुधार के लिए भारत अंतरराष्ट्रीय व्यवस्था, फार्मास्युटिकल इंस्पेक्शन कन्वेंशन एंड फार्मास्युटिकल इंस्पेक्शन को-ऑपरेशन स्कीम (पीआईसी/एस) में शामिल होगा. यह कदम गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत के बाद उठाया गया है.
इसके अलावा दूसरा कारण यह भी है कि गुणवत्ता के प्रति अधिक अलर्ट रहनेवाले यूएई और गल्फ कोऑपरेशन काउंसिल में भारतीय चिकित्सा उत्पादों के सामने आने वाली बाजार पहुंच की समस्या को खत्म किया जा सके. एक अधिकारी ने कहा कि हमें पीआईसी/एस के लिए भारतीय उद्योग, विशेष रूप से सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम को तैयार करना होगा, जो अच्छी मैन्युफैक्चरिंग प्रथाओं को अपनाकर वैश्विक मानकों को अपनाएगा. यह निर्णय न केवल गाम्बिया जैसी त्रासदियों को रोकने में मदद करेगा, बल्कि उन्नत बाजारों में पहुंच हासिल करने में भी मदद करेगा.
कई विकसित अर्थव्यवस्थाएं करती हैं तंत्र का उपयोग अधिकारी ने बताया कि संयुक्त अरब अमीरात और जीसीसी और कई अन्य विकसित अर्थव्यवस्थाएं ऐसे तंत्र का उपयोग करती हैं. लेकिन इस तरह के तंत्र सस्ती भारतीय दवाओं के लिए बाधा है. अधिकारी ने कहा कि पीआईसी/एस में शामिल होने से बाजार की बाधाओं की समस्या हल हो जाएगी क्योंकि भारत उन देशों में शामिल होगा जिनकी कीमतों का भी संदर्भ देने के लिए उपयोग किया जाएगा. लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स के शोध के अनुसार, यूएई विकसित बाजारों से दवाओं के दामों के संदर्भ का उपयोग करता है जो चिकित्सा उत्पादों के लिए उच्च मानकों का पालन करते हैं. इनमें ऑस्ट्रिया, बहरीन, बेल्जियम, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्विट्जरलैंड और यूके शामिल हैं. भारत और चीन जैसे देशों को शामिल नहीं किया जाता क्योंकि यहां कीमतें कम होती हैं.