खर्राटे केवल मोटे वयस्क और बुजुर्ग ही नहीं लेते. अब बच्चे भी खूब खर्राटे ले रहे हैं. वजह है कंठशूल (एडेनोइड हाइपरट्राफी). इस बीमारी में बच्चों को सांस लेने में समस्या होती है. नाक बंद महसूस होती है तो वे मुंह से सांस लेने लगते हैं. नींद में उन्हें खर्राटे आने लगते हैं.
डॉक्टरों का कहना है कि कानपुर में पांच साल में कंठशूलग्रस्त बच्चों की संख्या पांच गुनी हो गई है. ज्यादातर अभिभावक इसे बीमारी नहीं समझते, लिहाजा बच्चों को अस्पताल लाने में देर हो रही है.
डॉक्टरों का कहना है कि बच्चा खर्राटे ले रहा हो तो अलर्ट हो जाएं. डॉक्टर को दिखाएं. लंबे समय तक एडेनोइड संक्रमण में कान बहना शुरू हो जाता है. इसके बाद सर्जरी करनी पड़ सकती है. कानुपर के जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के ईएनटी विभाग ने इस पर रिपोर्ट तैयार की है. इसके मुताबिक साल-दर-साल कंठशूल ग्रस्त बच्चे बढ़ते जा रहे हैं.
अंगूर के गुच्छे जैसी उभार वाली ग्रंथि होती है एडेनोइड्स
एडेनोइड्स अंगूर के गुच्छे जैसी कई उभारों वाली ग्रंथि है जो नाक (नोज कैविटी) के पिछले हिस्से और गले के जोड़ पर होती है. यह जन्म से 12 साल की उम्र तक बढ़ती है, उसके बाद सिकुड़ने लगती है. वयस्क में ये बहुत छोटी हो जाती है. यह संक्रमण से लड़ने में शरीर को मदद करते हुए एंटीबॉडी उत्पादन करती है.
लड़कियों की अपेक्षा लड़कों में यह बीमारी ज्यादा दिख रही है. 6040 का अनुपात है. पुरानी विधा से सर्जरी नहीं की जा रही है. एंडोस्कोप माइक्रो डिब्रेडर से सर्जरी आसान हो गई है. – प्रो. एसके कनौजिया, हेड, ईएनटी विभाग, जीएसवीएम कॉलेज
ऐसे होता है संक्रमण
एडेनोइड्स नाक के माध्यम से शरीर में प्रवेश करने वाले बैक्टीरिया और वायरस को रोककर शिशुओं को संक्रमण से बचाती है. कई बार संक्रमण ज्यादा घातक हो तो यह उसे नियंत्रित नहीं कर पाती. ऐसे में खुद यह ग्रंथि ही संक्रमित हो जाती है. ऐसे में एडेनोइड्स आमतौर पर बढ़ने लगती है और नाक से सांस लेने में समस्या होती है. अन्य दिक्कतें भी बढ़ती हैं.
बीमारी के मुख्य लक्षण
● नाक से सांस लेने में समस्या होना
● कान बहना
● खर्राटे
● बार-बार गला खराब
● निगलने में कठिनाई
● गर्दन में सूजी हुई ग्रंथियां
● होंठ फटना
● मुंह सूखना
● स्लीप एप्निया