
यदि आप विदेश जाते हैं और वहां क्रेडिट कार्ड से किसी तरह का भुगतान करते हैं तो इसका पूरा ब्योरा और मकसद बैंकों को बताना पड़ सकता है. आयकर विभाग विदेश में क्रेडिट कार्ड से होने वाले खर्च पर टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) लगाए जाने के मामले में जारीकर्ता बैंक को तय अवधि में समुचित जानकारी देने का प्रावधान करने पर विचार कर रहा है.
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि इस संदर्भ में आयकर विभाग एक समुचित व्यवस्था बनाने के लिए आरबीआई और अन्य हितधारकों के साथ भी बातचीत कर रहा है. चर्चा इस बिंदु पर हो रही है कि विदेशों में क्रेडिट कार्ड से किए जाने वाले खर्च का मकसद एक तय समय के भीतर ग्राहक द्वारा जारीकर्ता बैंक को बता दिया जाए.
बताया जा रहा है कि आयकर विभाग अलग-अलग मद में किए गए विदेशी मुद्रा खर्च पर लगाए जाने वाले टीसीएस शुल्क से संबंधित प्रक्रिया के बारे में सवाल-जवाब की एक विस्तृत सूची भी जारी करेगा.
24 अरब डॉलर बाहर भेजे गए
आरबीआई के आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2021-22 में एलआरएस योजना के तहत कुल 19.61 अरब डॉलर बाहर भेजे गए जबकि वर्ष 2020-21 में यह आंकड़ा 12.68 अरब डॉलर था. पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में यह राशि बढ़कर 24 अरब डॉलर हो गई.
सात लाख से अधिक खर्च पर 20 फीसदी कर
क्रेडिट कार्ड से विदेश में किया गया खर्च सात लाख रुपये से अधिक होने पर 20 प्रतिशत शुल्क लगेगा. हालांकि, शिक्षा और चिकित्सा से संबंधित खर्च होने पर पांच प्रतिशत ही टीसीएस लगेगा. विदेश में शिक्षा के लिए कर्ज लेने वालों पर सात लाख रुपये से अधिक राशि पर 0.5 प्रतिशत शुल्क लगेगा. गौरतलब है कि इस साल के बजट में विदेशी टूर पैकेज एवं एलआरएस के तहत विदेश भेजे गए पैसे पर टीसीएस को पांच प्रतिशत से बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने का प्रस्ताव रखा गया था. नई कर दर एक जुलाई से प्रभावी होगी.
एक जुलाई से लागू हो सकता है प्रस्ताव
बताया जा रहा है कि आयकर विभाग का यह प्रस्ताव क्रेडिट कार्ड धारकों के लिए एक जुलाई से लागू हो सकता है. इसी तारीख से विदेश में क्रेडिट कार्ड से किए जाने वाले खर्च पर 20 फीसदी टीसीएस (स्रोत पर कर संग्रह) लगाने का प्रावधान लागू होने वाला है.
एलआरएस योजना में किया था शामिल
वित्त मंत्रालय ने हाल ही में विदेशी मुद्रा प्रबंधन (फेमा) संशोधन नियम, 2023 के माध्यम से क्रेडिट कार्ड के जरिए विदेश में होने वाले खर्च को भी एलआरएस योजना में शामिल किया था. इसके बाद 2.5 लाख डॉलर से अधिक मूल्य की विदेशी मुद्रा के किसी भी धन-प्रेषण के लिए आरबीआई की मंजूरी लेनी जरूरी होगी. कानून में बदलाव करने का मकसद डेबिट एवं क्रेडिट कार्ड से भेजी गई राशि के कर संबंधी पहलुओं में समानता लाना है.
इसलिए करना पड़ा बदलाव
वित्त मंत्रालय के मुताबिक एलआरएस के तहत डेबिट कार्ड से किए गए भुगतान पहले ही शामिल थे लेकिन क्रेडिट कार्ड से विदेश में किए गए खर्च इस सीमा में नहीं आते थे. इसकी वजह से कई लोग एलआरएस सीमा को पार कर जाते थे. विदेश पैसे भेजने की सुविधा देने वाली कंपनियों से मिले आंकड़ों से पता चला कि 2.50 लाख डॉलर की मौजूदा एलआरएस सीमा से अधिक खर्च की अनुमति वाले अंतरराष्ट्रीय क्रेडिट कार्ड जारी किए जा रहे हैं.