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‘अवतार 2’ से देंगे धरती बचाने का संदेश

रायपुर. आज ‘विश्व पर्यावरण दिवस’ है. पृथ्वी को बचाने की मुहिम में सिनेमा भी महत्त्वपूर्ण योगदान दे रहा है. 16 दिसंबर को रिलीज हो रही जेम्स कैमरून की साइ-फाइ ‘अवतार 2: द वे ऑफ वॉटर’ पृथ्वी पर खत्म हो चुके संसाधनों पर आधारित है.
साल 2154 में सेट है स्टोरी
‘अवतार 2’ की स्टोरी वर्ष 2154 की है. फिल्म में ऐसे भविष्य की कल्पना की गई है, जहां पृथ्वी के प्राकृतिक संसाधन पूरी तरह खत्म हो चुके हैं. इंसान पानी की तलाश में पेंडोरा ग्रह पर वापस लौटते हैं और वहां मौजूद संसाधनों का दोहन करना चाहते हैं. इससे इंसानों और पेंडोरा वासियों में युद्ध छिड़ जाता है. फिल्म पारिस्थितिकी और पर्यावरण संरक्षण के साथ, स्थानीय लोगों के अधिकार, पूंजीवाद और युद्ध जैसे मुद्दों पर रोशनी डालती है.

भारतीय निर्देशक माइक पांडे की ‘शोर्स ऑफ साइलेंस’ व्हेल शार्क के शिकार पर बनी है. भारत सरकार ने इसके बाद व्हेल शार्क के शिकार पर बैन लगाया और संकटग्रस्त घोषित किया. जर्नलिस्ट क्रेग लीसन की फिल्म ‘प्लास्टिक ओशियन’ में प्लास्टिक कचरे से पर्यावरण को होने वाले नुकसान पर बनी है.
जलवायु परिवर्तन पर बनी 2017 की ‘कड़वी हवा’ में एक्टर संजय मिश्रा ने प्रकृति के खाली होते खजाने के प्रति जागरूक किया था. 2015 की ‘कौन कितने पानी में’ गिरते भूजल स्तर पर ध्यान खींचती है. 2017 की फिल्म ‘इरादा’ केमिकल प्लांट्स की जहरीली गैसों की भयावहता पर है.

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