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चंद्रयान-3 आंकड़ों का सर्वप्रथम विश्लेषण इसरो करेगा

चंद्रमा की सतह पर 23 अगस्त को विक्रम लैंडर के उतरने के बाद उसमें मौजूद रोवर प्रज्ञान तुरंत अपना काम शुरू कर देगा. वह इसरो को आंकड़े भेजने लगेगा.

रिपोर्ट के मुताबिक, इसरो ने इन आंकड़ों के विश्लेषण के लिए अलग-अलग वैज्ञानिकों की टीम तैयार की है. इसरो की कोशिश है कि चंद्रयान-3 के आंकड़ों पर आधारित किसी भी महत्वपूर्ण जानकारी की घोषणा या शोधपत्र का प्रकाशन सबसे पहले एजेंसी के द्वारा ही किया जाए.

लैंडिंग के बाद प्रज्ञान रोवर चंद्रमा की सतह पर 14 दिन तक आंकड़े एकत्र करेगा. इसमें लगे दो उपकरणों में से एक अल्फा पार्टिकल एक्सरे स्पेक्टोमीटर (एपीएक्सएस) चंद्रमा की सतह का रासायनिक विश्लेषण करेगा, जबकि दूसरा लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडुन स्पेक्टोस्कोप (एलआईबीएस) सतह पर किसी धातु की खोज और उसकी पहचान करेगा.

इसरो के मुताबिक, दोनों उपकरण स्वत कार्य करेंगे और उनके द्वारा भेजे गए आंकड़े कर्नाटक के ब्यालालु स्थित प्रयोगशाला में सीधे प्राप्त होंगे और वैज्ञानिक उनका विश्लेषण शुरू करेंगे.

डेढ़ दशक पूर्व नासा ने कर दी थी घोषणा

साल 2008 में जब चंद्रयान-1 ने आंकड़े भेजने शुरू किए थे, तो उसके आधार पर पहली घोषणा नासा ने 24 सितंबर, 2009 में की. नासा ने यह घोषणा चंद्रयान-1 में भेजे गए अपने उपकरण मून मिनरोलॉजी मैपर (एम3) के आंकड़ों के आधार पर की. साइंस जर्नल में यह जानकारी प्रकाशित हुई. इसके एक दिन बाद इसरो ने दावा किया कि उसके उपकरण मून इंपेक्ट प्रोब (एमआईपी) के आंकड़ों ने पहले ही इसकी पुष्टि कर दी थी, लेकिन घोषणा करने में वह चूक गया.

14 दिन तक प्रज्ञान रोवर चंद्रमा से धरती पर आंकड़े भेजेगा

● विश्लेषण के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की टीम तैयार

● इसरो के वैज्ञानिक शोधपत्र तैयार करने के बाद घोषणा करेंगे

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