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विक्रम ने लगाया चांद की सतह पर अजीब गतिविधियों का पता

बेंगलुरु . चांद की सतह पर इसरो को अजीब गतिविधियों के बारे में पता चला है. चंद्रयान-3 के लैंडर विक्रम में लगा लूनर सेसमिक एक्टिविटी (आईएलएसए) पेलोड ने 25 और 26 अगस्त को एक रहस्यमयी गतिविधि दर्ज की है.

प्रारंभिक स्तर पर ये प्राकृतिक लग रहा है. हालांकि, वैज्ञानिकों की टीम इसकी तह तक जाने के लिए जांच में जुटी है. इसरो के अनुसार, चांद पर पहली बार भेजा गया माइक्रो इलेक्ट्रो मैकेनिकल सिस्टम (एमईएमएस) तकनीक रूप से रोवर और दूसरे पेलोड की गतिविधि पर नजर रखता है.

कंपन पर तकनीक की नजर इसरो के अनुसार आईएलएसए चांद की सतह पर जमीनी कंपन से जुड़ी गतिविधियों पर नजर रखता है. ये प्राकृतिक भूकंप, किसी वस्तु के प्रभाव से कंपन या कृत्रिम गतिविधियों के कारण होने वाले कंपन को दर्ज करता है. आईएलएसस पेलोड को बेंगलुरू स्थित इसरो की संस्था लैबोरेटरी फॉर इलेक्ट्रो ऑप्टिक्स सिस्टम (एलईओएस) ने तैयार किया है.

रेडियोएक्टिव तंत्र से निगरानी

एपीएक्सए को अहमदाबाद के स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी) ने तैयार किया है. वहीं बेंगलुरु के यूआर राव सैटेलाइट सेंटर ने इसे तैनात करने का तरीका बनाया है. इसरो के अनुसार एपीएक्सए में रेडियोएक्टिव तंत्र लगे हैं जो चांद की सतह पर मौजूद तत्वों की रीडिंग एकत्र करने के बाद उसकी जानकारी साझा करता है.

प्रज्ञान की अठखेलियां लैंडर के कैमरे में कैद

चंद्रयान-3 मिशन के जरिए चांद की सतह पर पुहंचा प्रज्ञान रोवर खूब अठखेलियां कर रहा है. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने गुरुवार को मां, बेटे और चंदामामा के रिश्ते को जोड़ते हुए कहा कि रोवर प्रज्ञान चांद की सतह पर रोज नई खोज करने में जुटा है.

इसरो ने बताया कि प्रज्ञान चांद की सतह पर रोज सुरक्षित और नए रास्तों की तलाश कर रहा है. इसरो ने कहा, जो वीडियो सामने आया है उसमें ऐसा प्रतीत हो रहा है कि प्रज्ञान एक बच्चे की तरह सतह पर खेल रहा है और मां की तरह लैंडर विक्रम नजर रख रहा है. वीडियो में दिख रहा है कि प्रज्ञान रास्तों की तलाश में 360 डिग्री तक घूमता नजर आ रहा है.

प्लाज्मा पर्यावरण का आकलन पेलोड लैंग्म्यूर प्रोब ने पहली बार साउथ पोल क्षेत्र में लूनर प्लाज्मा पर्यावरण का आकलन किया है.

दक्षिणी ध्रुव की टोह ले रहा

इसरो के अनुसार, प्रज्ञान में लगे लेजर इन्डयुज्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप (एलआईबीएस) चांद पर मौजूद तत्वों की जानकारी दे रहा है. छह पहियों से लैस 26 किलोग्राम वजनी प्रज्ञान पता करने में जुटा है कि दक्षिणी ध्रुव की सतह और चट्टानों के भीतर क्या है. अपनी आठ दिन की यात्रा में ऑक्सीजन, सल्फर का पता लगाया है.

दोबारा सल्फर की पुष्टि

इसरो ने बताया कि प्रज्ञान ने नई तकनीक के जरिए एक बार फिर चांद की सतह पर सल्फर होने की पुष्टि की है. इसरो ने कह है कि अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोस्कोप (एपीएक्सए) के जरिए चांद की सतह पर दोबारा सल्फर होने की पुष्टि की है. इसके अलावा इस तकनीक के जरिए कई और तत्वों की भी पहचान की गई है.

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