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अधिकतर अर्थशास्त्रित्त्यों को उम्मीद है कि राजनीतिक तथा वित्तीय अस्थिरता के बीच आने वाले वर्ष में वैश्विक अर्थव्यवस्था कमजोर होगी, जबकि 90 प्रतिशत से अधिक अर्थशास्त्रत्त्ी दक्षिण एशिया खासकर से भारत में मध्यम या मजबूत वृद्धि को लेकर आश्वस्त हैं. एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई.
विश्व आर्थिक मंच (डब्ल्यूईएफ) की नवीनतम चीफ इकोनॉमिस्ट आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, देश में रियल एस्टेट बाजार में मुद्रास्फीति कम होने और नरम रुख के संकेतों से चीन के लिए संभावनाएं कम हो गई हैं. दुनिया राजनीतिक और वित्तीय अस्थिरता से जूझ रही है. करीब 10 में से छह का मानना है कि वैश्विक आर्थिक दृष्टिकोण संयुक्त राष्ट्र सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने की दिशा में प्रगति को कमजोर कर देगा, जबकि 74 प्रतिशत का कहना है कि भू-राजनीतिक तनाव का भी यही असर होगा.
क्षेत्र में मजबूत वृद्धि की उम्मीद करने वालों की हिस्सेदारी पिछले सर्वेक्षण में 36 प्रतिशत थी, जो अब बढ़कर 52 प्रतिशत हो गई.
चीन के आंकड़ों से मंदी कम होने के संकेत मिले
चीन के कारखानों ने गति पकड़ ली है और अगस्त में खुदरा बिक्री में भी तेजी आई है. सरकार की ओर से जारी रिपोर्ट में संकेत मिले हैं कि अर्थव्यवस्था धीरे-धीरे वैश्विक महामारी के बाद की स्थिति से उबर सकती है. हालांकि, रेस्तरां तथा दुकानों में व्यस्त गतिविधि के बावजूद आंकड़ों में सभी महत्वपूर्ण संपत्ति क्षेत्र में लगातार कमजोरी दिखी. रियल एस्टेट डेवलपर्स सुस्त मांग के कारण कर्ज चुकाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. रियल एस्टेट निवेश में अगस्त में सालाना आधार 8.8 की गिरावट आई. साल की शुरुआत से ही गिरावट लगातार बढ़ती जा रही है. बैंकों पर बोझ कम करने के लिए पीपुल्स बैंक ऑफ चाइना ने कहा कि उधारदाताओं के लिए 0.25 अंक की कटौती की जाएगी.