
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने देश के सभी बैंकों से बचत खाते पर ब्याज दरें बढ़ाने पर विचार करने को कहा है. हालांकि, बैंक इसमें बिलकुल दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं. समाचार एजेंसी रॉयटर्स की खबर के अनुसार, बैंक अपने लाभ मार्जिन को बढ़ाने के लिए बचत खाते पर ब्याज दरें बढ़ाने के लिए फिलहाल इच्छुक नहीं हैं.
ब्याज दरें लगभग स्थिर मुद्रास्फीति पर काबू पाने के लिए आरबीआई ने मई 2022 से लगातार नीतिगत ब्याज दर (रेपो रेट) में बढ़ोतरी की है. रेपो रेट में 250 आधार अंकों से अधिक की वृद्धि हुई है और चार प्रतिशत से बढ़कर 6.50 प्रतिशत पर पहुंच चुकी है.
विशेषज्ञों के अनुसार, रेपो रेट बढ़ने के बाद बैंकों ने जिस रफ्तार से कर्ज महंगा किया था, उस गति से जमा राशि पर ब्याज दरें नहीं बढ़ाई. बचत खाते में ब्याज दरें लगभग स्थिर बनी हुई हैं.
बैंकों के ऋण और जमा में अंतर लगातार बढ़ता जा रहा है. यह अब छह फीसद तक पहुंच चुका है. ऐसे में बैंक जमा राशि बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं. अभी जमा राशि जहां 12 की दर से बढ़ रही है, तो ऋण 15 की दर से बढ़ रहा है. ऋण वितरण और जमा आकर्षित करने के बीच अंतर ज्यादा है, जिसकी वजह से ऋण जमा अनुपात पर भी असर पड़ा है. इस पर एक निजी बैंक के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि बचत खाते को बनाए रखने की परिचालन लागत और तकनीकी लागत काफी अधिक है.
एसबीआई 2.70 से 3%
पीएनबी 2.70 से 3%
कैनरा बैंक 2.9 से 4%
निजी
एचडीएफसी 3 से 4.50%
आईसीआईसीआई 3 से 3.50%
एक्सिस बैंक 3 से 3.50%
अधिक ब्याज देने वाले
आरबीएल 4 से 7.50%
यस बैंक 3.50 से 7.00%
बंधन बैंक 3 से 6.25%