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राजधानी में ‘डिजिटल गिरफ्तारी’ का डर दिखाकर साइबर ठगी करने वाले एक अंतरराज्यीय गिरोह का पर्दाफाश हुआ है. इस मामले में दिल्ली पुलिस की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस (आईएफएसओ) यूनिट ने मां-बेटे सहित चार लोगों को गिरफ्तार किया है.
आईएफएसओ यूनिट के डीसीपी हेमंत तिवारी के अनुसार, एयर इंडिया से सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रबंधक 65 वर्षीय अंजना चक्रवर्ती ने पुलिस को बताया कि उन्हें ‘डीएचएल एक्सप्रेस कूरियर कंपनी’ के नाम पर एक फोन आया था, जिसमें उनसे कहा गया कि उन्होंने कंबोडिया निवासी जॉन डेविड के नाम पर एक पार्सल भेजा है. इसे मुंबई सीमा शुल्क ने जब्त कर लिया है, जिसमें 150 ग्राम एमडीएमए नशीला पदार्थ, 20 पासपोर्ट, तीन क्रेडिट कार्ड, एक लैपटॉप और कपड़े हैं. पीड़िता ने बताया कि आरोपी ने व्हाट्सऐप वीडियो कॉल कर उनकी एक अन्य व्यक्ति से बात भी कराई, जिसने खुद को सीबीआई अधिकारी बताया था. इसके बाद उनको गिरफ्तार करने का झांसा देकर जालसाजों ने 35 लाख रुपये ठग लिए.
राजधानी और यूपी में छापेमारी कर दबोचा : एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज होने के बाद आईएफएसओ की टीम ने दिल्ली और उत्तर प्रदेश के विभिन्न हिस्सों में छापेमारी कर चार लोगों को गिरफ्तार किया. उन्होंने बताया कि आरोपी चौधरी संजय कुमार दास को नांगलोई, खुशबू खान और उसके बेटे आसिफ खान को ग्रेटर नोएडा और अभय सिंह को यूपी के हरदोई से गिरफ्तार किया गया. इनके कब्जे से एक कार, लैपटॉप, आठ मोबाइल, चार चेकबुक आदि बरामद हुए हैं.
ऐेसे वारदात को अंजाम देते हैं जालसाज
‘डिजिटल गिरफ्तारी’ में साइबर ठग सीबीआई, सीमा शुल्क अधिकारी जैसे किसी कानून प्रवर्तन एजेंसी का सदस्य बनकर पीड़ित को फोन करता है और उन्हें बताता है कि उनके नाम कोई शिकायत दर्ज हुई है. झूठे मामले को लेकर पीड़ित को पहले काफी डराया जाता है, जिससे वह घबरा जाता है. इसके बाद उन्हें घर से बाहर निकलने से मना कर दिया जाता है, जिसे डिजिटल गिरफ्तारी कहते हैं. इस बीच दूसरा फोन करके पीड़ितों की मदद करने का आश्वासन देता है. इसके बाद पीड़ित ठगों की कही हुई हर बात मानता है. जालसाज पीड़ितों को एक ऐप डाउनलोड करने को कहते हैं. इस ऐप के जरिये पीड़ित से जुड़े रहते हैं. कुछ देर बाद वह केस को रफा-दफा करने के लिए रुपये मांगते हैं.