उद्धव ठाकरे के बयान से महाराष्ट्र से दिल्ली तक गरमाई सियासत
नई दिल्ली : शिवसेना (उद्धव ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के लिए बदले सुर ने महाराष्ट्र की राजनीति से लेकर देश की राजनीति तक अटकलों का नया दौर शुरू हो गया है. इससे जहां विपक्षी गठबंधन इंडिया में संशय पैदा हुआ है, वहीं भाजपा नेताओं ने भी दबे सुर कहना शुरू कर दिया है कि राजनीति में दरवाजे कभी बंद नहीं होते हैं.
विपक्षी गठबंधन के दो बड़े मजबूत माने जाने वाले राज्य बिहार और महाराष्ट्र की राजनीति में बड़े बदलाव दिखने लगे हैं. बिहार में तो नीतीश कुमार ने राजग में आकर ‘इंडिया’ को करारा झटका दिया ही है, अब महाराष्ट्र में भी वैसी ही सुगबुगाहट है? उद्धव ठाकरे ने एक दिन पहले एक रैली में कहा कि वह मोदी को बताना चाहते हैं कि हम कभी आपके दुश्मन नहीं थे. आज भी दुश्मन नहीं है. वह और शिवसेना उनके साथ थी. हमने पिछली बार अपने गठबंधन के लिए प्रचार किया था. आप प्रधानमंत्री बने. बाद में आपने हमें खुद से दूर कर दिया. हमारा हिंदुत्व और भगवा ध्वज आज भी कायम है.
उद्धव को माना जाता है बालासाहब का उत्तराधिकारी
भाजपा के लिए शिवसेना के ठाकरे गुट का साथ आना लाभ का सौदा होगा. जमीन पर जनता के बीच उद्धव ठाकरे को ही बालासाहब ठाकरे और शिवसेना का उत्तराधिकारी माना जाता है. राज्य की जनता ने बाल ठाकरे के भतीजे राज ठाकरे की पार्टी को स्वीकार नहीं किया था. ऐसे में मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे वाली शिवसेना को जनता कितना स्वीकार कर पाएगी? एनसीपी की अधिकांश ताकत अजित पवार के साथ पहले ही भाजपा के साथ है. ऐसे में अगर उद्धव ठाकरे की राजग में वापसी होती है तो महाराष्ट्र में ‘इंडिया’ का कोई अर्थ नहीं रह जाएगा. भाजपा के एक प्रमुख नेता ने ठाकरे के बयान पर कहा है कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं और दरवाजे कभी बंद नहीं होते हैं.