
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने अनेक किस्म के ड्रोन विकसित किए हैं, जिनके परीक्षण के नतीजे भी बेहद उत्साहजनक रहे हैं. सैन्य उपयोग वाले ड्रोन के मामले में भारत न सिर्फ आत्मनिर्भर हो रहा है बल्कि अब उन्हें निर्यात करने की भी तैयारी में है.
डीआरडीओ द्वारा हाल में विकसित टार्गेट ड्रोन ‘अभ्यास’ को निर्यात के लिए उपयुक्त पाया गया है, क्योंकि वह किसी भी देश की सुरक्षा के लिए जरूरी है. हालांकि भारत अपनी निर्यात नीति के तहत इसे मित्र देशों को ही देगा.
सूत्रों के अनुसार हाई स्पीड एक्सपेंडेबल एरियल टार्गेट-अभ्यास को एयरोनाटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (एडीई) ने देश में तैयार किया है तथा पिछले साल चांदीपुर रेंज में इसके सफल परीक्षण किए गए हैं. यह टार्गेट ड्रोन या डिकॉय एयरक्राफ्ट भी कहलाता है. मुख्यत इसका कार्य युद्धक विमानों को दुश्मन के हमलों से बचाना होता है. यह दुश्मन के प्रक्षेपात्रों को हवा में ही ध्वस्त कर देता है. युद्ध में इसकी अहम भूमिका है. यह विमानों के ईर्द-गिर्द तैनात किया जाता है तथा उनकी रक्षा करता है.
करीब आठ फुट लंबे इस ड्रोन का कुल वजन तकरीबन 75 किलो है. इसमें पेलोड का वजन भी शामिल है. यह 16 हजार फीट तक की ऊंचाई पर उड़ान भर सकता है तथा रेंज 400 किलोमीटर से भी ज्यादा है. यह साढ़े छह सौ किमी प्रति घंटे की गति से उड़ान भरने में सक्षम है. इसे इसे किसी भी केंद्र से लैपटाप के जरिये संचालित किया जा सकता है तथा विमान के साथ जोड़ा जा सकता है. इसका रखरखाव आसान है.
ड्रोन उत्पादन के लिए तैयार है जिसका जिम्मा हिन्दुस्तान एयरोनाटिक्स लिमिटेड (एचएएल) तथा लार्सन एंड ट्रुबो (एलएंडटी) को सौंपा जा रहा है.
अभ्यास भारतीय सेनाओं के लिए तो महत्वपूर्ण है ही, इसमें निर्यात की काफी संभावनाएं हैं. इसलिए इसे मित्र देशों को निर्यात किया जा सकता है.