बीमा नियामक इरडा बीमा पॉलिसी वापस (सरेंडर) करने के नियमों में बड़े बदलाव की तैयारी में है. इसके तहत बीमाधारकों को अधिक लाभ देने की दिशा में काम किया जा रहा है. इसके लिए बीमा वापसी शुल्क (सरेंडर चार्ज) को कम किया जा सकता है. साथ ही ग्राहकों को कुल वापसी रकम (सरेंडर वैल्यू) अधिक मिल सकती है.
वहीं, इरडा बीमा कंपनियों के हितों को भी ध्यान में रखकर कुछ नियम तय कर सकता है. इस संबंध में मार्च में बैठक होनी है. गौरतलब है कि इरडा ने दिसबंर 2023 में इस संबंध में चर्चा पत्र जारी किया था. इसमें बीमा पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू बढ़ाने का प्रस्ताव है. साथ ही कम सरेंडर चार्ज वसूलने की बात कही गई है. कंपनियां परिपक्वता अवधि से पहले पॉलिसी लौटाने पर जुर्माने के तौर पर यह शुल्क लेती हैं.
बीमा वापसी शुल्क मामले में रियायत मांगी
इरडा के इन दोनों प्रस्तावों का बीमा कंपनियां विरोध कर रही हैं. उनका कहना है कि इससे उनके मुनाफे पर नकारात्मक असर पड़ेगा. इरडा के साथ फरवरी में हुई बैठक में कंपनियों ने सरेंडर चार्ज से संबंधित प्रावधानों में रियायत देने की मांग की थी. बताया जा रहा है कि इरडा मार्च में होने वाली बैठक में सरेंडर वैल्यू और शुल्क को अधिक तर्कसंगत बनाने पर विचार कर सकता है. उसका इरादा पॉलिसीधारक को ज्यादा फायदा पहुंचना और बीमा कंपनियों पर बोझ को सीमित करना होगा.
कंपनियां इसलिए कर रहीं प्रस्ताव का विरोध
अभी सरेंडर चार्ज के अलग नियम हैं. अगर कोई ग्राहक दूसरे साल का प्रीमियम चुकाने के बाद पॉलिसी वापस करता है तो उसे चुकाए गए प्रीमियम का सिर्फ 30 फीसदी वापस मिलता है. इरडा के प्रावधान लागू होते हैं तो प्रीमियम रिफंड 175 फीसदी तक बढ़ सकता है. साथ ही पॉलिसीधारक को कम सरेंडर चार्ज चुकाना होगा.
छोटी और लंबी अवधि के आधार पर गणना संभव
बीमा कंपनियों ने छोटी और लंबी अवधि वाली बीमा पॉलिसी के अनुसार सरेंडर वैल्यू तय करने की गुजारिश की है. यह पांच साल से पहले पॉलिसी लौटाने के आधार पर तय हो सकती है. इसके तहत पांच साल से अधिक अवधि वाली पॉलिसी की सरेंडर वैल्यू अधिक तय हो सकती है. जबकि इससे कम पर इसमें कमी आ सकती है.