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गोल्ड लोन की गड़बड़ी में शामिल कंपनियों की जांच होगी

गोल्ड लोन देने के मामले में कई खामियां सामने आने के बाद सरकार और आरबीआई सतर्क हो गए हैं. आरबीआई ने हाल ही में आईआईएफएल फाइनेंस के गोल्ड लोन के कारोबार पर रोक लगा दी. माना जा रहा है कि अन्य गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) पर भी आरबीआई की कार्रवाई देखने को मिल सकती है और वे जांच के दायरे में आ सकती हैं.

बताया जा रहा है कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने न केवल आईआईएफएल बल्कि अन्य एनबीएफसी को भी 20 हजार रुपये से अधिक का कर्ज नकद में देते हुए पाया है. कुछ मामलों में यह राशि एक लाख रुपये से भी अधिक रही है. नियमों के अनुसार, ऐसी कंपनियों को 20 हजार रुपये से अधिक का कर्ज नकद में देने की अनुमति नहीं है. वे डिजिटल या चेक के माध्यम से ही अधिक राशि का कर्ज दे सकती हैं. इसका उल्लंघन करने पर आरबीआई आवश्यक कार्रवाई कर सकता है.

दो कंपनियों का विशेष ऑडिट होगा

आईआईएफएल फाइनेंस लिमिटेड और जेएम फाइनेंशियल प्रोडक्ट्स लिमिटेड को नियामकीय उल्लंघन के मामले में एक विशेष ऑडिट का सामना करना पड़ेगा. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने ऑडिटर की नियुक्ति की प्रक्रिया शुरू की है.

रिजर्व बैंक ने इन दोनों गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों के विशेष ऑडिट के लिए ऑडिटर की नियुक्ति के लिए दो अलग-अलग निविदाएं जारी की हैं. इस महीने की शुरुआत में केंद्रीय बैंक ने नियामकीय दिशानिर्देशों का अनुपालन नहीं करने पर इन दोनों इकाइयों पर अंकुश लगाया था. जेएम फाइनेंशियल के मामले में आरबीआई ने पाया था कि कंपनी विभिन्न प्रकार की हेरफेरी में शामिल थी.

कई बड़ी कंपनियों ने नियमों को ताक पर रखा

बताया जा रहा है कि कई एनबीएफसी और गोल्ड लोन देने वाली कंपनियां अब भी नकद में लाखों रुपये दे रही हैं. इसमें कई बड़ी कंपनियां शामिल हैं, जिन्होंने जरूरी नियमों को ताक पर रख कर लोगों को गोल्ड लोन उपलब्ध कराए हैं. यह भी बताया जा रहा है कि कुछ कंपनियों ने अपने गोल्ड कारोबार को फैलाने के लिए आईआईएफएल के पूर्व कर्मचारियों की मदद ली. उन्होंने आईआईएफएल फाइनेंस के गोल्ड लोन कारोबार में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया और दस्तावेजों की भी नकल की है.

ब्याज दरों में भारी अंतर

आरबीआई ने यह भी पाया है कि बैंक और एनबीएफसी के गोल्ड लोन की ब्याज दरों और प्रोसेसिंग फीस में भारी अंतर है. सरकारी बैंक 8.65 से 11 फीसदी तक ब्याज पर पर कर्ज दे रहे हैं, वहीं कुछ निजी बैंक सालाना 17 फीसदी तक का ब्याज वसूल रहे हैं. वहीं, एनबीएफसी कंपनियों के लोन की ब्याज दरें 36 फीसदी तक जा रही हैं. प्रोसेसिंग फीस में भारी अंतर है.

सरकारी बैंकों को समीक्षा करने का निर्देश दिया

वहीं, वित्त मंत्रालय ने ऐसे मामलों की बढ़ती संख्या को देखते हुए सरकारी बैंकों को गोल्ड लोन की समीक्षा रिव्यू करने का निर्देश दिया है. वित्त सेवा सचिव के मुताबिक, हमने बैंकों से गोल्ड लोन कारोबार की समीक्षा करने को कहा है. इसके तहत बैंकों की तरफ से वसूली जाने वाली प्रोसेसिंग फीस, ब्याज दर और खाता बंद करने में आने वाली विसंगतियों को ठीक करने का निर्देश दिया है.

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