राष्ट्रीय

आयुष उत्पादों के विज्ञापन पर पत्र वापस लेगी केंद्र सरकार

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में कहा कि वह आयुष मंत्रालय द्वारा सभी राज्य और केंद्र शासित प्रदेश के लाइसेंसिंग अधिकारियों को भेजे गए उस पत्र को तुरंत तत्काल प्रभाव से ले लेगी, जिसमें उनसे (अधिकारियों) को औषधि और प्रसाधन सामग्री नियम, 1945 के नियम 170 के तहत आयुर्वेदिक और आयुष उत्पादों से संबंधित विज्ञापनों के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई नहीं करने के लिए गया था.

केंद्र सरकार ने पतंजलि आयुर्वेद से जुड़े भ्रामक विज्ञापन के खिलाफ चल रही सुनवाई के दौरान यह जानकारी दी. केंद्र द्वारा पत्र वापस लिए जाने के बाद राज्य लाइसेंसिंग प्राधिकरण आयुर्वेद, सिद्ध और यूनानी दवाओं के विज्ञापन के खिलाफ कार्रवाई कर सकेगा. जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने इससे पहले आयुष मंत्रालय के उस रुख पर कड़ी नाराजगी जाहिर की थी, जिसमें कहा गया था कि यह पत्र आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड द्वारा की गई सिफारिश के मद्देनजर जारी किया गया था.

पीठ ने कहा कि सरकार यह कैसे कह सकती है कि केवल अनुशंसा पर ही मैं उसे निर्देशित करूंगा? निर्णय लिए बिना आप यह क्यों कहेंगे कि कानून लागू न करें.

संबंधित कानून के तहत नियम 170 लाइसेंसिंग अधिकारियों की मंजूरी के बिना आयुर्वेदिक, सिद्ध या यूनानी दवाओं के विज्ञापनों पर प्रतिबंध लगाता है. केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने 29 अगस्त, 2023 को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेश के लाइसेंसिंग अधिकारियों और आयुष के औषधि नियंत्रकों को एक पत्र भेजा था. इस पत्र में आयुर्वेदिक, सिद्ध और यूनानी औषधि तकनीकी सलाहकार बोर्ड की सिफारिश की मद्देनजर नियम 170 के तहत कार्रवाई शुरू नहीं करने का निर्देश दिया था.

मामले की सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (एएसजी) केएम नटराज ने आयुष मंत्रालय के संयुक्त सचिव द्वारा दायर एक हलफनामे का हवाला देते हुए बताया कि नियम को चुनौती देने वाली कम से कम 8-9 रिट याचिकाएं विभिन्न उच्च न्यायालयों के समक्ष दायर की गई थीं. इस पर पीठ ने कहा कि इनमें से किसी भी मामले में उच्च न्यायालय ने फैसला नहीं सुनाया है.

जस्टिस कोहली ने कहा कि निर्णय लिए बगैर आप (मंत्रालय) महज सिफारिश के आधार पर यह क्यों कह रहे हैं कि कानून को लागू मत करो? उन्होंने कहा कि यह कहना कि ठीक है, लागू मत करो लेकिन आप निर्णय नहीं लेते, आप यह नहीं कह सकते कि कानून है, आप इसे लागू नहीं करते. साथ ही कहा कि उच्च न्यायालय ने फैसला लेने का निर्देश दिया था, आप बिना फैसला लिए यह कैसे कह सकते हैं कि कानून लागू मत करो. जब तक आप फैसला नहीं लेते कानून है. पीठ ने कहा कि यदि किसी उच्च न्यायालय को लगता है कि किसी नियम को स्थगित रखा जाना चाहिए, तो पक्षों को सुनने के बाद आदेश पारित करने में उसे एक क्षण लगेगा.

Show More

Aaj Tak CG

यह एक प्रादेशिक न्यूज़ पोर्टल हैं, जहां आपको मिलती हैं राजनैतिक, मनोरंजन, खेल -जगत, व्यापार , अंर्राष्ट्रीय, छत्तीसगढ़ , मध्यप्रदेश एवं अन्य राज्यो की विश्वशनीय एवं सबसे प्रथम खबर ।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button