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चंद्रमा पर ‘शिवशक्ति प्वाइंट’ के पास चंद्रयान-4 की लैंडिंग संभव

पिछले साल 23 अगस्त को भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने चंद्रयान-3 को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर उतारा था. अब इसरो का अगला लक्ष्य चंद्रयान -4 है, जिसके लिए जापान की अंतरिक्ष एजेंसी जाक्सा के साथ तैयारी जारी है. इस मिशन में वहां से चट्टान और मिट्टी को पृथ्वी पर लाने का लक्ष्य है.

चंद्रयान-3 से गहरा संबंध

स्पेस एप्लीकेशंस सेंटर (एसएसी) निदेशक नीलेश देसाई ने बताया कि चंद्रयान-4 की लैंडिंग साइट का चंद्रयान 3 से गहरा संबंध है. लैंडर विक्रम जहां लैंड हुआ उस जगह को शिव शक्ति प्वाइंट नाम दिया गया. उन्होंने बताया कि चंद्रयान-4 शिव शक्ति प्वाइंट के करीब ही लैंड करेगा. वैज्ञानिकों का अनुमान कि अंधेरे में रहने वाले चंद्रमा के इस इलाके में बर्फ के रूप में पानी हो सकता है.

14 दिनों के बाद बदल जाती है स्थिति

इसरो के अनुसार, चंद्रयान-4 मिशन की ऑपरेशन लाइफ एक चंद्र दिन होगी. चंद्रयान-3 की तरह धरती के 14 दिनों के बराबर काम करेगा. चंद्रमा का अध्ययन करने के लिए चंद्रयान-4 के पास केवल 14 दिन होंगे, क्योंकि उसके बाद वहां की स्थिति अनुकूल नहीं रहती. चंद्रयान-4 में कई लॉन्च और स्पेसक्राफ्ट मॉड्यूल शामिल रहेंगे.

14 दिनों तक ही चांद पर काम करेगा यह यान

चंद्रयान-4 मिशन के तहत चांद की मिट्टी और नमूने पृथ्वी पर लाए जाएंगे, जिसका अध्ययन होगा. यदि यह मिशन सफल रहा तो अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत चंद्रमा से नमूने लाने वाला चौथा देश होगा. बता दें कि चंद्रयान प्रयोगों में अब तक इस्तेमाल किए गए ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर्स को पृथ्वी पर वापस नहीं लाया जाएगा.

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