स्पेन. वैसे तो भीषण गर्मी से सभी को परेशानी है लेकिन यह मधुमेह, रक्तचाप और मोटापे से ग्रसित लोगों के लिए अधिक खतरनाक होता है. ऐसे दिन इन लोगों के अस्पताल में भर्ती होने का जोखिम कम तापमान वाले दिनों की तुलना लगभग दोगुना हो जाता है. स्पेन स्थित बार्सिलोना इंस्टीट्यूट फोर ग्लोबल हेल्थ के अध्ययन में ये निष्कर्ष सामने आए हैं.
स्पेन में शोधकर्ताओं ने 10 साल से अधिक समय के दौरान गर्मी से अस्पताल पहुंचने वाले मधुमेह और बीपी के मरीजों का आंकड़ा लिया. इसमें पता चला कि मधुमेह और उच्च रक्तचाप के मरीजों की परेशानी अधिक गर्मी में बढ़ गई. मनुष्य के शरीर का सामान्य तापमान 37 डिग्री सेल्सियस होता है. जबकि, त्वचा का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस होता है. अलग-अलग तापमान के कारण ही पसीना निकलता है. जब पसीना भाप बनकर उड़ता है, तो वो शरीर के अंदर की गर्मी भी ले उड़ता है. जर्नल एन्वायर्नमेंटल हेल्थ पर्सपेक्टिव में प्रकाशित अध्ययन के लेखक अचेबक ने कहा, ‘मोटापे से ग्रस्त लोगों के शरीर में गर्मी झेलने की प्रक्रिया की कुशलता अधिक प्रभावी नहीं होती. ऐसा इसलिए क्योंकि शरीर में वसा एक इन्सुलेटर के रूप में कार्य करता है.
देश के उत्तरी हिस्से में तापमान लगातार बढ़ रहा है. मौसम विभाग के अनुसार, इसकी मुख्य वजह प्रशांत महासागर में अल नीनो का कमजोर होना है.
मेक्सिको में अधिक गर्मी से बंदरों की मौत
मेक्सिको समेत दुनिया के कई देश गर्मी का सामना कर रहे हैं. मेक्सिको में इंसान से लेकर जानवरों तक के लिए जानलेवा बन गई है. यहां के हौलर बंदरों की मौत होने लगी है. पेड़ पर से ये बंदर नीचे गिर रहे हैं. डॉक्टर सर्जियो वालेंजुएला ने कहा, ‘डिहाइड्रेशन और बुखार के कारण इनकी हालत गंभीर है.’