भारतीय रेल ने 100 दिन के एक्शन प्लान में देश के प्रमुख रेलमार्गो (ट्रंक रूट) पर कंजेशन समाप्त करने की तैयारी कर ली है. उक्त रेलमार्गो के बॉटलनेक (संकीर्ण भाग) को हटाने के लिए नई रेल लाइनें, दोहरीकरण, तीसरी-चौथी लाइनें बिछाई जाएंगी.
रेलमार्ग क्षमता विस्तार से यात्री ट्रेनों-मालगाड़ियों की औसत रफ्तार बढ़ेगी. रेल की लेटलतीफी समाप्त होने से सालाना 1.28 लाख करोड़ मूल्य का ईंधन (16,000 लीटर ईंधन) बचाया जा सकेगा. इससे 43 मिलियन टन कार्बन उत्सर्जन की कमी आएगी. वहीं, समय पालन सुधरने से यात्री ट्रेनें समय पर गंतव्य पहुंचेंगी और मालभाड़ा मद में रेलवे के राजस्व में बढ़ोत्तरी होगी.
रेलवे बोर्ड के अधिकारियों ने बताया, जून माह में नई सरकार के समक्ष रेलमार्गों के कंजशन समाप्त करने संबंधित कैबिनेट नोट पेश किया जाएगा. उन्होंने बताया कि देश के प्रमुख रेलमार्गों दिल्ली-मुंबई, दिल्ली-कोलकता, दिल्ली-चैन्नई, मुंबई-कोलकाता, चैन्नई-कोलकाता, मुंबई-चैन्नई के कंजेशन को समाप्त किया जाएगा. उनके मुताबिक, कंजेशन समाप्त करने के लिए प्रोजेक्ट के बजाए प्रोग्राम आधारित नीति पर काम किया जाएगा. इसमें जरूरत के हिसाब से कंजेशन वाले सेक्शन पर नई रेल लाइन, दोहरीकरण अथवा तीसरी-चौथी लाइनें बिछाई जाएंगी. इस प्रकार 16,600 किलोमीटर रेल लाइनें बिछाई जाएंगी. 208 प्रोग्राम के लिए पृथक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाई जाएंगी. इसमें लूप लाइनों की लंबाई 750 मीटर के स्थान पर 1500 मीटर की होगी. एक्शन प्लान पर आठ से 10 लाख करोड़ रुपये के निवेश होने की संभावना है.
2022-23 में पौने तीन लाख ट्रेनें लेट से चलीं
रेलवे बोर्ड के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022-23 में दो लाख 74 हजार से अधिक यात्री ट्रेनें लेटलतीफी का शिकार हुईं. प्रतिदिन 12,000 ट्रेनों का संचालन होता है. ट्रेनों के दो से छह घंटे लेट के हिसाब से एक साल में साढ़े चार लाख घंटों का समय बर्बाद हुआ. रेल नियम के अनुसार तीन घंटे से अधिक ट्रेन लेट होने पर यात्री को पूरा रिफंड दिया जाता है.