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देश की सबसे हॉट वाराणसी लोकसभा सीट पर पीएम मोदी छह हजार वोटों से पिछड़े, अजय राय आगे

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पोस्टल बैलेट में पिछड़ गए हैं. पोस्टल बैलेट में कांग्रेस के अजय राय ने छह हजार की लीड बना ली है. पोस्टल बैलेट के बाद ईवीएम के वोटों की गिनती शुरू होगी जो कई राउंड चलेगी. खुद मैदान में उतरने के कारण वाराणसी लोकसभा सीट देश की सबसे हॉट सीट है.

पीएम मोदी पोस्टल बैलेट छह हजार वोटों में पिछड़े, अजय राय को 11480 और पीएम मोदी को 5257 वोट मिले थे

वाराणसी लोकसभा सीट पर 1991 यानी तीन दशक से भाजपा का कब्जा है. बीच में केवल एक बार 2004 में कांग्रेस ने यह सीट छीनी थी. उस समय यहां से सांसद बने राजेश मिश्रा कुछ दिनों पहले ही भाजपा में शामिल हो गए थे. 2009 के चुनाव में भाजपा के कद्दावर नेता और राम मंदिर आंदोलन के प्रमुख चेहरे मुरली मनोहर जोशी को यहां भेजा गया. जोशी से मुकाबला मुख्तार अंसारी का हुआ. बेहद करीबी मुकाबले में मुरली मनोहर जोशी यहां से जीत सके थे. तब अजय राय सपा से उतरे और तीसरे स्थान पर रहे थे. इसके बाद 2014 में पीएम मोदी यहां से लड़े और तीन लाख से ज्यादा वोटों से जीते. उनके सामने उतरे दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल दूसरे, सपा के कैलाश चौरसिया तीसरे और कांग्रेस के अजय राय चौथे नंबर पर थे. 2019 में पीएम मोदी दोबारा मैदान में उतरे और एकतरफा मुकाबले में जीत हासिल की. इस बार सपा की शालिनी यादव दूसरे और कांग्रेस के अजय राय तीसरे नंबर पर थे.

मोदी के आने से एकतरफा रहा मुकाबला

पिछले दो चुनावों के वोटों की बात करें दो दोनों बार ही मोदी के आने से एकतरफा मुकाबला रहा. 2019 के चुनाव में नरेंद्र मोदी को 6 लाख 74 हजार 664 वोट मिले. सपा की शालिनी यादव को केवल 1 लाख 95 हजार 159 वोट ही मिल सके थे. कांग्रेस के अजय राय को 1 लाख 52 हजार 548 वोट मिले थे. 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को वाराणसी में 5 लाख 81 हज़ार वोट मिले थे. उन्होंने अरविंद केजरीवाल को 2 लाख 9 हजार वोटों से हराया था. कांग्रेस समेत अन्य दलों का कोई प्रत्याशी एक लाख वोट भी नहीं हासिल कर सका था.

2009 में बीजेपी के डॉ. मुरली मनोहर जोशी केवल तीस हजार वोटों से ही जीत सके थे. मुरली मनोहर जोशी को 2 लाख 3 हजार 122 वोट मिले थे. बसपा के मुख्तार अंसारी को 1 लाख 85 हजार 911 वोट मिले. सपा के अजय राय को 1 लाख 23 हजार 874 वोट मिले. जबकि निर्वतमान सांसद रहे कांग्रेस के डॉ. राजेश कुमार मिश्र को केवल 66 हजार 386 वोट ही मिले थे.

 वाराणसी में सपा-बसपा को नहीं मिली कभी जीत

अभी तक 17 लोकसभा चुनाव हुए हैं. सात बार कांग्रेस और सात बार भाजपा जीती है. एक-एक बार जनता दल और सीपीएम उम्मीदवार को भी जीत नसीब हुई है. भारतीय लोकदल ने भी इस सीट पर एक बार जीत हासिल की है. समाजवादी पार्टी और बसपा ने इस सीट पर अभी तक कभी भी जीत दर्ज नहीं की है. वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें वाराणसी उत्तरी, वाराणसी दक्षिण और वाराणसी कैंट शहर की सीटें हैं. रोहनिया और सेवापुरी ग्रामीण इलाके में हैं.

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में वाराणसी की पांचों सीटों पर भाजपा और उसकी सहयोगी अपना दल ने कब्जा किया है.

मोदी से पहले कई दिग्गज बने सांसद

वाराणसी लोकसभा सीट से कई दिग्गज नेता चुनाव जीतकर आए हैं. यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री कमलापति त्रिपाठी, मुरली मनोहर जोशी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल शास्त्री भी सांसद बने हैं. वाराणसी से 1957 के आम चुनाव में कांग्रेसी नेता रघुनाथ सिंह सांसद चुने गए. 1962 में भी जनता ने रघुनाथ सिंह को ही विजयी बनाया. 1967 में यहां से पहली बार सीपीएम के सत्य नारायण सिंह ने चुनाव जीता.

1971 में कांग्रेस के राजाराम शास्त्री सांसद बनें. 1977 में कांग्रेस विरोधी लहर की बदौलत वाराणसी से चन्द्र शेखर चुनाव जीते. 1980 में कमलापति त्रिपाठी वाराणसी सीट से चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. 1989 में इस सीट से पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के बेटे अनिल कुमार शास्त्री ने चुनाव जीता. 2004 में कांग्रेस के राजेश मिश्रा ने यहां जीत हासिल की. 2009 में बीजेपी के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी इलाहाबाद से वाराणसी चुनाव लड़ने आए और चुनाव जीते. इसके बाद साल 2014 और 2019 का चुनाव पीएम नरेंद्र मोदी ने जीता. 

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