बिलासपुर. तलाकशुदा पत्नी ने पति की मौत के बाद पारिवारिक पेंशन व अनुकंपा नियुक्ति प्राप्त करने दावा करते हुए हाईकोर्ट में याचिका पेश की थी. कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, तलाक की डिक्री से पति-पत्नी के मध्य कानूनी बंधन भंग होने से मृतक के पारिवारिक पेंशन का लाभ पाने का हक समाप्त हो जाता है. वसीयतनामा मृतक की संपत्ति का निपटान का अधिकार देती है.
एलआईसी पेंशन विनियमन, 1995 का नियम 2(के) भी परिवार को परिभाषित करता है. इसमें न्यायिक रूप से अलग हुई पत्नी या पति भी शामिल है. न्यायिक अलगाव और तलाक कानून की स्थापित स्थिति है. न्यायिक पृथक्करण वैवाहिक संबंध को खत्म नहीं करता है. इसके परिणामस्वरूप एक निश्चित अवधि के लिए वैवाहिक अधिकारों का कानूनी निलंबन हो जाता है. वहीं तलाक की डिक्री पति और पत्नी के बीच के कानूनी बंधन को निर्णायक रूप से भंग कर देती है. पत्नी को उनके वैवाहिक कर्तव्यों और दायित्वों से मुक्ति करता है. तलाक के मामले में अलग होने से पत्नी की स्थिति में कोई बदलाव नहीं आता है.तलाक से विवाह और सभी पारस्परिक अधिकार और दायित्व समाप्त हो जाते हैं. वे दोबारा शादी करने के लिए स्वतंत्र होते हैं. पेंशन विनियमन से यह स्पष्ट है कि केवल न्यायिक अलग हो चुके पति/पत्नी पारिवारिक पेंशन पाने के हकदार हैं, तलाकशुदा नहीं है. इसके साथ कोर्ट ने तलाकशुदा पत्नी की पारिवारिक पेंशन व अनुकंपा नियुक्ति दिलाने पेश दोनों याचिका को खारिज किया है.