आचार्य विरागसागर ने ली महाराष्ट्र में संलेखना समाधि

दमोह. राष्ट्रसंत गणाचार्य विरागसागर महाराज की संलेखना समाधि बुध-गुरुवार की मध्यरात्रि 2.30 बजे महाराष्ट्र के जालना में हो गई है. यह जानकारी जैन समाज के लोगों को सोशल मीडिया से मिली. 2024 में जैन श्रमण संस्कृति के दो बड़े संघों के नायक ‘आचार्यों’ की समाधि होने से सकल जैन समाज स्तब्ध है. फरवरी में आचार्य विद्यासागर के बाद अब दूसरे बड़े संघ के आचार्य विराग सागर की समाधि हुई है. कुंडलपुर में विराजमान आचार्य समय सागर ने भी आचार्य विरागसागर को श्रमण संस्कृति की बड़ी क्षति बताया.
आचार्य विराग सागर का जन्म 2 मई 1963 को दमोह जिले के पथरिया में हुआ था. बचपन से ही सूर्य की तरह चमक और बुद्धि के धनि बालक अरविंद (बचपन का नाम) ने पथरिया के ही शासकीय प्राथमिक शाला में पांचवीं तक शिक्षा प्राप्त की. वर्ष 1974 में 11 वर्ष की आयु में ही उन्होंने वैराग्य का रास्ता धारण किया.