मानसून सत्र के पहले दिन ही संसद में बिहार को विशेष राज्य का दर्जा एवं विशेष पैकेज देने की मांग उठी. लोकसभा में जहां एक प्रश्न के जरिए यह मुद्दा उठाया गया, वहीं राज्यसभा में राजद के मनोज झा ने इसकी मांग की. हालांकि, सरकार ने एक पुरानी रिपोर्ट का हवाला देते हुए स्पष्ट किया कि बिहार को विशेष राज्य का दर्जा देने का कोई मामला नहीं बनता है.
लोकसभा में जद(यू) के सदस्य रामप्रीत मंडल ने प्रश्न किया कि क्या सरकार का आर्थिक विकास और औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए बिहार राज्य और अन्य अत्यधिक पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा प्रदान करने का विचार है. इसके लिखित उत्तर में केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने कहा कि पूर्व में विशेष श्रेणी के दर्जे के बिहार के अनुरोध पर एक अंतर-मंत्रालयी समूह (आईएमजी) द्वारा विचार किया गया था.आईएमजी ने यह निष्कर्ष निकाला था कि राष्ट्रीय विकास परिषद (एनडीसी) के मौजूदा मानदंडों के आधार पर बिहार के लिए विशेष श्रेणी के दर्जे का मामला नहीं बनता है. तब केंद्र में कांग्रेस नीत यूपीए सरकार थी.
केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री ने कहा कि अतीत में एनडीसी ने कुछ राज्यों को विशेष श्रेणी का दर्जा दिया है. इन राज्यों में कुछ ऐसी विशेषताएं थीं जिन पर विशेष ध्यान देने की जरूरत थी.
रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में भी भाजपा की सहयोगी पार्टियों सहित बिहार के कुछ दलों ने राज्य को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग उठाई थी.