नई दिल्ली: आर्थिक विकास को गति देने के लिए मेक इन इंडिया के तहत सरकार ने सेमीकंडक्टर के विकास और डिस्प्ले विनिर्माण का बढ़ाकर दोगुना से अधिक कर दिया है. इसका मुख्य उद्देश्य देश में सेमीकंडक्टर निर्माण को प्रोत्साहन करना है.
वहीं, देश में तेजी से बढ़ती सौर ऊर्जा जरूरतों को ध्यान में रखकर ऊर्जा (ग्रिड) पर होने वाले खर्च को भी पांच हजार से बढ़ाकर 10 हजार करोड़ कर दिया है. इसके जरिए सरकार बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा उत्पादन को बढ़ाएगी. सेमीकंडक्टर का इस्तेमाल वाहन, स्मार्टफोन, कंप्यूटर, एटीएम, कार, डिजिटल कैमरा,एसी समेत अन्य में किया जाता है. अंतरिक्ष विज्ञान के क्षेत्र में भी इसकी जरूरत होती है. सेमीकंडक्टर चिप किसी भी उत्पाद को कंट्रोल और मेमोरी फंक्शन को ऑपरेट करने में मदद करती है.
लग्जरी कारों के सेंसर, ड्राइवर असिस्टेंस, पार्किंग रियर कैमरा, एयरबैग और इमरजेंसी ब्रेकिंग में भी इसका इस्तेमाल हो रहा है. भारत में परिवहन समेत जन-जीवन से जुड़ी चीजों में तेजी से बदलाव हो रहा है. अब लोग एडवांस कार, एसी, स्मार्ट फोन से लेकर इस्मेताल में हर इलेक्ट्रिक उत्पाद को खरीदना ज्यादा पंसद कर रहे है. इससे सेमीकंडक्टर की मांग बढ़ी है लेकिन भारत में उसकी उपलब्धता सीमित है.
सौर ऊर्जा के जरिए बढ़ी मांग को पूरा करने की कवायद
ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए सौर ऊर्जा बढ़ाने पर ध्यान आर्थिक विकास के साथ जीवन शैली में आ रहे बदलाव के बीच ऊर्जा खपत बढ़ रही है. कुछ क्षेत्रों में ऊर्जा को बढ़ाने के लिए सरकार के पास सीमित विकल्प है. ऐसे में सरकार सौर ऊर्जा के जरिए बढ़ी मांग को पूरा करना चाहती है. इसलिए सरकार ने सौर ऊर्जा पर होने वाले खर्च को बढ़ा दिया है.