राष्ट्रीय

विकसित भारत के लिए गरीबी मुक्त गांव बनाने का लक्ष्य

नई दिल्ली, प्रमुख संवाददाता. विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए राज्यों को न केवल लोगों के जीवन स्तर में बदलाव की रणनीति तैयार करनी होगी. इसके साथ ही राज्यों को अपने यहां निवेश को आकर्षित करने के लिए भी विस्तृत कार्य योजना भी बनानी होगी. विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए राज्यों को गरीब मुक्त गांव बनने का लक्ष्य रखा गया है.

नीति आयोग की बैठक के बाद शनिवार शाम को आयोग की तरफ से की गई प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी दी गई. नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी बीवी आर सुब्रह्मण्यम ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने के लिए सभी बिंदुओं पर राज्यों के साथ रचनात्मक बैठक हुई है. 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए तीन अहम मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जोर दिया.

राज्य अपने स्तर पर तैयार करेंगे प्लान आर्थिक विकास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए राज्य अपने यहां पर आर्थिक व सामाजिक विकास को ध्यान में रखकर योजना तैयार करेंगे. अभी तक उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु जैसे राज्यों ने अपने राज्य में आर्थिक विकास को लेकर कार्य योजना तैयार की है. बाकी राज्य भी जल्द योजना तैयार करके नीति आयोग को सौपेंगे. नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद्र ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य हासिल करने में कृषि क्षेत्र की अहम भूमिका होगी.

राज्यों के बीच सहयोग बढ़ाने पर ध्यान केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बैठक के संबंध में कहा कि बैठक में राज्यों के बीच निर्बाध सहयोग और सहभागितापूर्ण शासन बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया गया. गांवों में गरीबी को शून्य स्तर पर लाने के लिए विस्तार से चर्चा हुई. प्रधानमंत्री ने गरीबी से निपटने के लिए केवल कार्यक्रम स्तर के बजाय व्यक्तिगत स्तर पर काम करने की जरूरत पर जोर दिया.

1.गांवों का आर्थिक स्तर सुधारने पर काम होगा

बैठक का पहला मुद्दा गरीबी मुक्त गांव (शून्य गरीब गांव) बनाने का लक्ष्य रखा गया है. गरीबी मिटाने के लिए राज्य और केंद्र सरकार मिलकर लोगों के लिए 24 घंटे सातों दिन शुद्ध पेयजल, स्वास्थ्य और शिक्षा और बिजली उपलब्ध कराने का काम किया जाएगा. युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर उपलब्ध कराने व उद्यमी बनाने के लिए उन्हें कौशल विकास का प्रशिक्षण देने सहित अन्य कदम उठाने पर जोर.

2.राज्यों में बने निवेश अनुकूल माहौल

बैठक में दूसरा अहम मुद्दा औद्योगिक विकास का रहा. आयोग के सदस्य डॉ. अरविंद विरमानी ने कहा कि मौजूदा समय में कुछ राज्यों को छोड़ दिया जाए तो बाकी राज्यों में निवेश का अनुकूल माहौल नहीं है. इसलिए सभी राज्यों को अपने स्तर पर ऐसी नीति को तैयार करना होगा, जो निवेश को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करे. इससे विदेशी निवेश को राज्यों स्तर पर आकर्षित करने में मदद मिलेगी.

3.बाढ़ की समस्या दूर करने पर ध्यान देना

नीति आयोग की बैठक में तीसरा मुद्दा बाढ़ का रहा. राज्यों की तरफ से कहा गया कि देश का बड़ा हिस्सा बाढ़ से प्रभावित होता है, जिससे आम लोगों के साथ केंद्र व राज्य सरकारों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है. हर वर्ष लाखों की संख्या में लोग विस्थापित होने के लिए मजबूत होते है. ऐसे में बाढ़ का समाधान निकालने के लिए नदी जोड़ो जैसे अभियान को चलाए जाने की जरूरत है, जिस पर केंद्र और राज्यों के बीच सहमति बनी है.

देश में 15 लाख होगी प्रति व्यक्ति आय

नीति आयोग की बैठक में 2047 तक भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए दृष्टिपत्र पेश किया गया. पत्र के अनुसार 2047 तक प्रति व्यक्ति आय को 15 लाख सालाना तक पहुंचाना होगा जो अभीकरीब दो लाख रुपये है.

मौजूदा स्तर से इसमें आठ गुना की बढोत्तरी करनी होगी. इसी प्रकार जीडीपी को 30 खरब डालर तक पहुंचना होगा जो अभी 3.3 खरब डालर है. इसमें नौ गुना की बढोत्तरी करनी होगी. दृष्टिपत्र में विकसित भारत के सामाजिक संकेतकों का भी आकलन किया गया है. जैसे 2047 में भारतीयों की औसत आयु 84 साल होगी जो अभी 71 साल है. कुल प्रजनन दर तब गिरकर 1.8 रह जाएगी जो अभी 2.03 है. इसका यह मतलब नही कि तब आबादी कम हो जाएगी. आज देश की आबादी 140 करोड़ है लेकिन तब यह 165 करोड़ पहुंच जाएगी. तब यह आबादी देश की ताकत बनेगी. 165 करोड़ में 112 करोड़ लोग कामकाजी आयु वर्ग के होंगे. अभी इस श्रेणी में 96 करोड़ लोग हैं. भारत तब सर्वाधिक कामकाजी लोगों वाला देश होगा.

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